कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका दिया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सहायता प्राप्त और अनुदानित स्कूलों में 1911 नियुक्तियों को अवैध घोषित किया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) को ग्रुप डी के उन 1,911 कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द करने का निर्देश दिया, जिन्हें उनके भर्ती परीक्षा परिणामों में हेरफेर के बाद राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में अवैध रूप से नियुक्ति दी गई थी।
इतना ही नहीं उच्च न्यायालय ने WBBSE यानी पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (West Bengal Board Of Secondary Education) को इन कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करने का भी आदेश दिया है। यह आदेश तब आया जब अदालत ने पाया कि ग्रुप डी कर्मचारियों के लिए 2016 में हुई भर्ती परीक्षा के 1,911 उम्मीदवारों को उनकी ओएमआर शीट में हेरफेर के कारण सिफारिश मिली थी।
उनके नामों की सिफारिश स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) ने डब्ल्यूबीबीएसई को की थी। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने डब्ल्यूबीबीएसई को उन 1,911 उम्मीदवारों की नियुक्ति रद्द करने का निर्देश दिया, जिनके नामों की एसएससी ने गलत सिफारिश की थी। अदालत ने 2016 की परीक्षाओं के परिणामों के प्रकाशन के समय एसएससी के अध्यक्ष रहे सुबीर भट्टाचार्य को भी निर्देश दिया कि वे उन लोगों के नामों का खुलासा करें जिन्होंने परिणामों में हेरफेर करने के लिए कहा था।
कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से मामले में अवैध ठहराई गई नियुक्तियां पश्चिम बंगाल सरकार से सहायता प्राप्त और सरकारी अनुदान पर संचालित स्कूलों में ग्रुप डी के पदों पर की गई थी। इन नियुक्तियों को लेकर अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए गए थे।