नयी दिल्ली। गौतम अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर धराशायी होने से देश में हाहाकार मचा है। कई कंपनियों की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई है। संसद में हंगामा मचा है। विपक्ष संसद का सारा काम रोक कर पहले अदाणी के मुद्दे पर चर्चा करना चाहता है। इस बीच खबर आई है कि वर्ष 2009 से 2019 यानि दो लोकसभा चुनाव फिर से जीतने वाले 71 सांसदों की संपत्ति 286 प्रतिशत तक बढ़ी है। यानि इनमें प्रत्येक सांसद की घोषित संपत्ति में औसतन में 17.59 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। यह आंकड़ा तो वह जो इन सांसदों ने खुद अपने चुनाव शपथ पत्रों में सार्वजनिक किया है।
अघोषित संपत्ति इससे अलग हो सकती है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच ने चुनाव के दौरान दिए गए शपथ-पत्रों के विश्वलेषण के बाद यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक शिरोमणि अकाली दल की बठिंडा सांसद हरसिमरत कौर ऐसी सांसद हैं जिन्होंने सबसे ज्यादा संपत्ति घोषित की है। वर्ष 2009 में उनके पास 60.31 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। जो वर्ष 2019 में बढ़कर 217.99 करोड़ रुपए हो गई। हरसिमरत कौर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की पुत्रवधु हैं।
वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री रह चुकी हैं। इसी तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सदानंद सुले दूसरी ऐसी सांसद हैं जिनकी संपत्ति में सर्वाधिक इजाफा हुआ है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009 में सुले की घोषित संपत्ति चुनाव के वक्त 51.53 करोड़ रुपए थी। वर्ष 2019 में बढ़कर इनकी संपत्ति 140.88 करोड़ रुपए हो गई थी। अगले चुनाव तक इनकी संपत्ति में और इजाफा होने की उम्मीद हैं।
बता दें कि आम तौर पर लोग अपनी संपत्ति तभी घोषित करते हैं जब उनके पास टैक्स से बचने का कोई अन्य विकल्प नहीं होता। अगर सभी 71 सांसदों के शपथ-पत्रों की बात करें तो इस कड़ी में तीसरे स्थान पर बीजू जनता दल के सांसद पिनाकी मिश्रा हैं। वे उड़ीसा की पुरी सीट से सांसद हैं। एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009 में इनकी कुल घोषित संपत्ति 29.69 करोड़ रुपए थी। जो एक दशक में बढ़कर 117.47 करोड़ रुपए हो गई है।