सीबीआई ने कोलकाता पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया

कोलकाता/ नयी दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कहा कि उसने अमित कुमार अग्रवाल और कोलकाता पुलिस (हरे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन) के अज्ञात अधिकारियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि अग्रवाल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की शेल कंपनियों के जरिए अवैध रूप से कमाए गए धन को ठिकाने लगाने में मदद करते थे। मामला दर्ज करने के बाद, झारखंड और कोलकाता में कथित अभियुक्तों के विभिन्न स्थानों और परिसरों में तलाशी ली गई। सीबीआई ने कहा कि इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर प्रारंभिक जांच की गई थी।

उच्च न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह न्यायपालिका, ईडी अधिकारियों और अन्य सरकारी अधिकारियों को बदनाम करने के आरोपी के आचरण की प्रारंभिक जांच करे। अधिकारी ने कहा, जांच से पता चला है कि आईपीसी की संबंधित धाराओं, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम आदि के तहत प्रथम ²ष्टया अपराध बनता है। इसलिए, एक मामला दर्ज किया गया था। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को न्यायपालिका, ईडी अधिकारियों और अन्य सरकारी अधिकारियों को बदनाम करने के लिए अमित कुमार अग्रवाल के आचरण की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया, विशेष रूप से हरे स्ट्रीट पीएस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मामले पर विचार किया जिसमें अग्रवाल शिकायतकर्ता थे।

रांची में झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष शिव शंकर शर्मा ने अपने वकील राजीव कुमार के माध्यम से रिट याचिका दायर की थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि अग्रवाल अन्य लोगों के साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अन्य के अवैध धन को विभिन्न शेल कंपनियों के माध्यम से सफेद करने में शामिल थे। सोरेन, सीएम और खान और उद्योग विभाग के मंत्री (वे वन मंत्री भी थे और उन्होंने नए पट्टे के लिए पर्यावरण मंजूरी प्राप्त की थी) द्वारा अधिग्रहित खनन पट्टे से संबंधित सोरेन और निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के खिलाफ एक और जनहित याचिका दायर की गई थी। दोनों जनहित याचिकाओं को हाईकोर्ट ने क्लब कर दिया था।

सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ कि इससे पहले मार्च, 2022 में तत्कालीन डीसी रांची के माध्यम से अग्रवाल द्वारा जनहित याचिकाओं के संबंध में राजीव कुमार को प्रभावित करने का प्रयास किया गया था। अग्रवाल ने 31 जुलाई, 2022 को हरे स्ट्रीट थाने में राजीव कुमार और शिव शंकर शर्मा के खिलाफ अवैध रूप से 10 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने और जनहित याचिका खारिज करने के लिए जबरन वसूली करने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने उसकी शिकायत पर केस दर्ज कर लिया।

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