कड़ाके की ठंड में मधुमक्खी भी बक्से से बाहर आने से कतरा रहे हैं, चिंता में शहद किसान

मालदा। मालदा जिले में एक सप्ताह से अधिक समय से कड़ाके की ठंड का प्रकोप जारी है। जिससे किसान शहद का उत्पादन करते समय अत्यधिक समस्या में पड़ रहे है। कड़ाके की ठंड के कारण मधुमक्खियों के झुंड बक्सों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। शहद किसानों के अनुसार, लकड़ी के बक्सों से मधुमक्खियों के झुंड आसपास के सरसों के खेतों, आम के पेड़ों और अन्य बगीचों से फूलों का रस इकट्ठा करते हैं और शहद बनाने के लिए डिब्बे में वापस लौट जाते हैं। लेकिन एक सप्ताह से भी अधिक समय से ठंडे मौसम के कारण मधुमक्खियों के झुंड लकड़ी के बक्सों से नहीं निकल रहे हैं।

वैकल्पिक भोजन के रूप में बक्सों में चीनी का रस डालकर समस्या का समाधान करना पड़ रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो शहद उत्पादन की लागत बढ़ेगी, मुनाफा घटेगा। साहापुर ग्राम पंचायत के रायपुर क्षेत्र के शहद किसानों मंसूर अली, शाहजहां रहमान ने कहा कि इस वर्ष अतिरिक्त ठंड के कारण शहद का उत्पादन कम हुआ है। जो शहद पिछले साल 200 से 250 रुपए किलो बिका था। वह शहद इस साल घटकर 70 से 80 रुपये प्रति किलो रह गया है। थोक व्यापारी भी इसे ठीक से नहीं लेना चाहते।

इसके अलावा विभिन्न कंपनियां सीधे किसानों से संपर्क कर शहद एकत्र करती हैं। लेकिन इस बार अधिक ठंड के कारण शहद की गुणवत्ता थोड़ी कम हो गई है। नतीजतन, बहुत से लोग अभी भी शहद लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में मैं शहद उत्पादन को लेकर काफी चिंतित हूं। जिला बागवानी विभाग के सूत्रों के अनुसार इस प्रकार का शीत लहर अधिक समय तक निरंतर नहीं रहता है। उम्मीद है कि जल्द ही ठंड कम होगी। और किसान एक हद तक शहद का उत्पादन कर सकेंगे।

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