हिमाचल में आर्लेकर ने दिलाई सात मंत्रियों को शपथ

शिमला। हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार के मंत्रिमंडल का आज विस्तार हुआ और सात विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। राजभवन में आयोजित गरिमापूर्ण समारोह में राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने नए मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। मंत्रिमंडल विस्तार में शिमला जिला का दबदबा रहा । इस जिले से सबसे ज्यादा तीन मंत्री बने हैं, जबकि सर्वाधिक 15 सीटों वाले कांगड़ा जिले को एक मंत्री मिला है। सुक्खू मंत्रिमंडल में तीन पद अभी भी खाली हैं।

आज सबसे पहले सोलन से विधायक धनीराम शांडिल (82) को शपथ दिलाई गई। उनके बाद ज्वाली के विधायक चन्द्र कुमार, फिर शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान, किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी, जुब्बल कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर, कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह और सबसे आखिर में शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। हर्षवर्धन और जगत सिंह ने अंग्रेजी, जबकि अन्य नए मंत्रियों ने हिंदी में शपथ ली।

मंत्रिमंडल विस्तार में वरिष्ठता तथा अनुभव के साथ युवा चेहरों को तरजीह दी गई है। इसके साथ ही क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को भी साधा गया है। सुक्खू मंत्रिमंडल में 82 वर्षीय धनीराम शांडिल सबसे उम्रदराज और 33 वर्षीय विक्रमादित्य सिंह सबसे युवा मंत्री हैं। धनीराम शांडिल और चन्द्र कुमार को छोड़कर अन्य 05 विधायक पहली बार मंत्री बने हैं। धनीराम शांडिल और चन्द्र कुमार पूर्व वीरभद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सुक्खू मंत्रिमंडल में अधिकतम 10 मंत्री बनाए जा सकते हैं।

इस तरह अभी मंत्रियों के तीन पद रिक्त हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में शिमला संसदीय क्षेत्र से 05 मंत्री बने हैं, जबकि कांगड़ा और मंडी संसदीय क्षेत्र से एक-एक मंत्री बना है। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से कोई भी मंत्री नहीं बनाया गया है। इसकी वजह यह है कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से हैं।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने छह विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव और संसदीय सचिवों को शपथ दिलाई। सुक्खू सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव और संसदीय सचिव बनाए गए हैं।

सुंदर सिंह ठाकुर को मुख्यमंत्री ने मुख्य संसदीय सचिव की शपथ दिलाई। वहीं सर्वश्री रामकुमार चैधरी, मोहन लाल ब्रागटा को भी मुख्य संसदीय सचिव और रामकुमार को संसदीय सचिव की शपथ दिलाई।आशीष बुटेल भी मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए हैं। सर्वश्री किशोरीलाल, संजय अवस्थी को भी मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया। मुख्य संसदीय सचिव बनाने की पहले वीरभद्र सरकार में शुरू हुई थी, जब मंत्रियों को बनाने की सीमा तय हुई थी कि मुख्यमंत्री के अलावा केवल 11 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four × three =