सिलीगुड़ी । हर साल पौष मास की पूर्णिमा के दिन सिलीगुड़ी से सटे डाबग्राम फूलबाड़ी विधानसभा अंतर्गत बैकुंठपुर के घने जंगलों में वनदुर्गा की पूजा की जाती है। इस साल यह पूजा शुक्रवार 6 जनवरी को होगी, यह पूजा ब्रिटिश काल से ही इलाके में काफी लोकप्रिय हो गई थी। तब से घने जंगलों से घिरे इलाके में वन दुर्गा की पूजा हर साल की जाती है। वनदुर्गा की पूजा में सैंकड़ों की संख्या में भक्त इकट्ठा होते हैं।
सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, कूचबिहार और यहां तक कि सिक्किम, असम सहित पड़ोसी राज्यों से भी कई लोग इस मौके पर बैकुंठपुर जंगल में पहुंचते हैं। वन दुर्गा की पूजा के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं व इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। यह ज्ञात है कि बैकुंठपुर जंगल के घने जंगल में वनदुर्गा का मंदिर जिस स्थान पर स्थित है, उसे दिल्ली वीटा, चांद कैनाल कहा जाता है।
हालाँकि यह नाम बहुत से लोगों के लिए अज्ञात है। यह स्थान भवानी पाठक और देवी चौधुरानी का गुप्त निवास स्थान था। ब्रिटिश काल में देवी चौधुरानी और भवानी पाठक द्वारा पूजा की शुरुआत की गई थी। तब से यह पूजा हर साल आयोजित की जाती है। उस समय देवी को ठुनठुनी मां के नाम से जाना जाता है जो अब वनदुर्गा के नाम से विख्यात है।