वाराणसी : 24 अक्टूबर 2022 सोमवार को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन पूरे घर में दीप प्रज्वलित करने की परंपरा हैं। हर राज्य में दीपक जलाने की अलग अलग परंपराएं हैं। हालांकि दीप जलाने की संख्या कितनी होना चाहिए और कहां कहां यह दीप रखना चाहिए? आइए जानते हैं मान्यता और किवदंतियों पर आधारित इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी।
धनतेरस : धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीप जलाने होते हैं। रात में सोने के पूर्व यम के नाम के दीपक को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है जिसमें सरसों का तेल डाला जाता है। यह दीपक घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख कर नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दिया जाता है।
नरक चतुर्दशी : धनतेरस के बाद आती है नरक चतुर्दशी। इस दिन को लोग छोटी दिवाली भी कहते हैं। इस दिन कई लोग 14 दीपक जलाते हैं।
दीपावली में कितने दीपक जलाना चाहिए?
इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों से वातावरण रोशन हो जाए। इस दिन रात्रि को धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है।
इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य 1 तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्वलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं 4 बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे, ऐसा प्रयास करें।
15 दीपक जलाएं : पहला देवालय में, गाय के घी का शुद्ध दीपक जलाएं, जिससे कर्ज से मुक्ति मिलती है। दूसरा दीप लक्ष्मी पूजा के दौरान जलाएं। तीसरा दीपक तुलसी के यहां जलाएं। चौथा दीपक दरवाजे के बाहर, पांचवां पीपल के पेड़ के नीचे, छठा दीपक मंदिर में, सातवां दीपक कचरा रखने वाले स्थान पर, आठवां दीपक वॉशरूम में, नौवां दीपक मुंडेर पर, दसवां दीवार पर, ग्यारहवां खिड़की पर, बारहवां छत पर, तेरहवां किसी चौराहे पर, चौदहवां दीपक यम और पितरों के लिए उचित स्थान पर जलाएं और पंद्रहवां दीपक रसोईघर में पंडेरी या जल वाले स्थान पर जलाएं।
ज्योतिर्विद् वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848