श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ । सन् 1965 के बाद से महान मोहम्मद रफ़ी का फिल्म देखना बंद हो गया था। वो बहुत ही ज्यादा व्यस्त हो गए थे। उन्हें फिल्म देखने का समय ही नहीं मिलता था। अभिनेता धर्मेन्द्र तक को तो वे जानते थे। पर नये अभिनेताओं को पहचानते नहीं थे। वे उस समय एक दिन में 4-4 गानों की रिकार्डिंग किया करते थे। इतना काम कर रहे थे। इस वाकये की चर्चा अपने समय की मशहूर गायिका उषा तिमोथी ने की थी। घटना बैंगलोर हवाई अड्डे की है। वे किसी कार्यक्रम से लौट रहे थे। हवाई अड्डे पर उषा को एक आवाज आई, “उषा, उषा देखो, क्या हैंडसम लड़का जा रहा है। ये आराम से फिल्म का हीरो बन सकता है।”
उषा तिमोथी ने देखा आवाज़ मोहम्मद रफ़ी जी की थी और उन्होंने जाते हुए उस लड़के को देखा तो वो अभिनेता नवीन निश्चल थे। उषा तिमोथी ने कहा, “रफ़ी साहब वो तो हीरो ही हैं। उनका नाम नवीन निश्चल है।”
फिर रफ़ी बोले, “अच्छा, मैंने इनके लिए कोई गाना गाया है?”
उषा हंसती हुई बोली, “अरे रफ़ी साहब आप नवीन निश्चल के लिए गा चुके हैं। आपने उनके लिए ‘सुन सुन सुन ओ गुलाबी…’ (सावन भादो), ‘कान में झुमका चाल में ठुमका…’ (सावन भादो), ‘ये माना मेरी जां…’ (हंसते जख्म)
‘तुम जो मिल गए हो… (हंसते जख्म) ये चार गाने आप उनके लिए गा चुके हैं।”
तो ऐसे थे महान मोहम्मद रफ़ी और ये था उनसे जुड़ा एक मजेदार किस्सा। जो उनकी शख्सियत का एक और दिलचस्प रंग हमारे सामने रखता है। लिखना बंद करू इससे पहले बताता चलूं कि अभिनेता नवीन निश्चल और अभिनेत्री रेखा दोनों की ही पहली फिल्म ‘सावन भादो’ थी।