कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और विपक्षी कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणियों के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की आलोचना करते हुए कहा कि वे (टिप्पणियां) उनके पद के अनुकूल नहीं हैं। भाजपा की राज्य इकाई ने धनखड़ का समर्थन किया और कहा कि यह अच्छा है कि वह राज्य की सही तस्वीर दिखा रहे हैं। धनखड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि कानून के शासन की जगह शासक का कानून राज्य (पश्चिम बंगाल) में मानवाधिकार के लिये अभिशाप है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल धनखड़ ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा पर एनएचआरसी की एक समिति की एक रिपोर्ट में जनवरी में की गई एक टिप्पणी का संदर्भ दिया कि पश्चिम बंगाल में “कानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का कानून” है। राज्यपाल रहने के दौरान धनखड़ का कानून व्यवस्था को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के साथ मतभेद कई मौकों पर सामने आता रहा था।
टीएमसी के वरिष्ठ नेता सौगत राय ने कहा कि धनखड़ का इस तरह की आलोचना करना सही नहीं है। टीएमसी सांसद ने कहा, “धनखड़ की टिप्पणियां उनके पद के अनुरूप नहीं हैं। उनकी इस तरह की टिप्पणी करना गलत है और हमने तब भी उनका विरोध किया था (जब धनखड़ राज्यपाल थे), जैसा कि अब हम करते हैं। टीएमसी के एक और सांसद शांतनु सेन ने कहा कि लगता है धनखड़ ने अब तक अपना बंगाल विरोधी नजरिया नहीं छोड़ा है।
सेन ने कहा, “चाहे वह किसी भी पद पर हों, ऐसा लगता है कि उन्होंने अभी तक अपने बंगाल विरोधी विचारों को नहीं छोड़ा है। हम उनकी टिप्पणी की निंदा करते हैं। कांग्रेस ने भी धनखड़ की टिप्पणी की आलोचना की और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने हैरानी जताई कि वह (उपराष्ट्रपति) भाजपा शासित राज्यों में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर चुप क्यों हैं।
चौधरी कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष भी हैं। वहीं, धनखड़ का समर्थन करते हुए पश्चिम बंगाल से भाजपा की लोकसभा सदस्य लॉकेट चटर्जी ने कहा, “यह अच्छा है कि उपराष्ट्रपति होते हुए भी वे पश्चिम बंगाल को नहीं भूले हैं। यह अच्छा है कि वह (धनखड़) देश के सामने पश्चिम बंगाल की सच्ची तस्वीर पेश कर रहे हैं।” माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि धनखड़ ने सच कहा है।