कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सरकार के खिलाफ एसएलएसटी उम्मीदवारों के विरोध में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हम यहां शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए आए हैं, जिसकी अनुमति राज्य सरकार ने नहीं बल्कि अदालत ने दी थी। उन्होंने लिखित परीक्षा पास की है और उचित मांग कर रहे हैं। उनकी नौकरी अन्य लोगों को बेची गई थी।
उन्होंने कहा कि 50,000 नौकरियां बेची गईं और बाकी मंत्रियों, विधायकों और पार्टी अन्य कार्यकर्ताओं के रिश्तेदारों को दी गईं। जब सीबीआई ने जांच शुरू की, तो घोटाले को छिपाने के लिए टीएमसी सरकार ने 13 लाख OMR दस्तावेजों को नष्ट कर दिया। यह बहुत बड़ा अपराध है, इसमें शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
दूसरी ओर हाल ही में शुभेंदु अधिकारी को झटका देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को उनके सारदा चिटफंड घोटाले के खिलाफ जांच करने की अनुमति दे दी। शुभेंदु अधिकारी पर करोड़ों रुपए के घोटाले में लाभार्थी होने का आरोप लगाया गया है।सारदा समूह के संस्थापक और अध्यक्ष, सुदीप्त सेन ने CBI को एक पत्र भेजा था जिसमें अधिकारी पर घोटाले में लाभार्थी होने का आरोप लगाया गया था। उस पत्र के आधार पर पूर्वी मिदनापुर जिले के कांथी पुलिस थाने ने अधिकारी को नोटिस भेजा था।
नोटिस को चुनौती देने के लिए अधिकारी ने मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष याचिका दायर की। अपनी याचिका में उन्होंने तर्क दिया कि राज्य पुलिस समानांतर जांच नहीं चला सकती क्योंकि सीबीआई पहले से ही मामले की जांच कर रही है।