भारत पर विदेशी कर्ज का भार 8.2 फीसदी बढ़कर 620.7 अरब डॉलर

नयी दिल्ली। भारत पर बाहरी ऋण भार की स्थिति पर 28 वीं रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 के अंत तक देश पर 620.7 अरब डॉलर का कर्ज बकाया था जो मार्च 2021 के अंत में 573.7 अरब डॉलर के वाह्य ऋण भार की तुलना में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। भारत पर वाह्य ऋण 2021-22 शीर्षक इस रिपोर्ट की प्रस्तावना में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत का विदेशी ऋण भारत वहनीय बना हुआ है और इसे पूरी सूझबूझ के साथ इसका प्रबंध हो रहा है।श्रीमती सीतारमण ने कहा कि विदेशी ऋण का बड़ा हिस्सा दीर्घकालिक ऋणों का है जबकि अल्पकालिक ऋण मूल रूप से आयात को वित्तपोषित करने के लिए लिए लिया जाता है।

यह बात विदेशी ऋणों की वहनीयता और कुल विदेशी ऋण की वहनीयता को बढ़ाती है। उन्होंने आगे कहा कि अन्य देशों की तुलना में भारत के विदेशी ऋण की स्थिति अच्छी है। भारत पर विदेशी कर्ज का भार पिछले वित्त वर्ष के अंत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 19.9 प्रतिशत ​​था जबकि विदेशी कर्ज की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार 97.8 प्रतिशत था।
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को एक विज्ञप्ति में कहा, “ सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के हिसाब से बाहरी ऋण मार्च 2022 के अंत में मामूली रूप से गिरकर 19.9 प्रतिशत के बराबर रहा, जो एक साल पहले 21.2 प्रतिशत था। इसी दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार देश के विदेशी ऋण के समक्ष थोड़ा घट कर 97.8 प्रतिशत के बराबर रहा जो एक साल पहले 100.6 प्रतिशत से अधिक था।”

देश के वाह्य ऋण में दीर्घकालिक ऋण 499.1 अरब डॉलर ( 80.4 प्रतिशत) के बराबर था। जबकि 121.7 अरब डॉलर के साथ अल्पकालिक ऋण का हिस्सा 19.6 प्रतिशत था। अल्पकालिक में बड़ा हिस्सा (96 प्रतिशत) ऋण मुख्य रूप से व्यापार के आयात कर्ज के रूप में था। पिछले वित्त वर्ष के अंत में सरकार पर विदेशी कर्ज 17.1 प्रतिशत बढ़ कर 130.7 अरब डॉलर के बराबर रहा जिसका मुख्य कारण 2021-22 के दौरान आईएमएफ द्वारा एसडीआर का अतिरिक्त आवंटन था। गैर सरकारी विदेशी कर्ज 6.1 प्रतिशत बढ़कर 490 अरब डॉलर हो गया। इस प्रकार के कर्ज में वाणिज्यिक कर्ज, प्रवासी भारतीय (एनआरआई) जमा और अल्पकालिक व्यापारिक ऋणों का हिस्सा कुल मिला कर 95.2 प्रतिशत प्रतिशत था।

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