बायीं के बदले दायीं तरफ धड़क रहा था बच्ची का दिल

दीपक, कोलकाता। रविंद्रनाथ टैगोर इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेस (आरटीआईआईसीएस) में 20 महीने की एक ऐसी बच्ची को भर्ती कराया गया था जिसका दिल दायीं तरफ धड़क रहा था। सामान्य तौर पर दिल बायीं ओर होता है। मेडिकल के लिहाज से यह मामला काफी दुर्लभ है। इसके साथ ही बच्ची का जन्म से ही होंठ भी फटे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल दाहिनी ओर होने के चलते बच्ची को हृदय संबंधी समस्या हो रही थी। तमाम जांच की बाद बच्ची को आरएन टैगोर अस्पताल रेफर किया गया था।

यहां बच्ची को पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी सलाहकार डॉ. महुआ रॉय की देखरेख में भर्ती कराया गया, जिन्होंने बच्ची की पूरी स्थिति की जांच करने के बाद उसके इलाज की प्रक्रिया शुरू की गई। इलाज के दौरान जांच में पाया गया कि बच्ची का एक फेफड़ा ठीक से विकसित नहीं हुआ जिसके लिए हार्ट छाती के दाहिने हिस्से की ओर स्थानांतरित हो गया था। ऐसी समस्या को पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस कहा जाता है। पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस एओर्टिक में मौजूद एक अनक्लोज्ड होल को कहा जाता है।

एओर्टिक हमारी मुख्य आर्टरी होती है, जो ब्लड को हार्ट से दूर शरीर के अन्य अंगों तक ले जाती है। डक्टस आर्टेरियोसस एक छेद होता है, जो ब्लड को लंग्स तक सर्कुलेट होने से रोकता है। बच्ची की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने ओपन हार्ट सर्जरी से बचने का फैसला किया क्योंकि बच्ची को कई समस्याएं थीं और इससे उसकी जान जोखिम में पड़ सकती थी।

उन्होंने पीडीए की माइक्रो सर्जरी (डिवाइस क्लोजर) के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। बच्ची को बगैर वेंट्रिलेटरी सपोर्ट पर रखे माइक्रोसर्जरी की गई। पीडीए डिवाइस को बंद करना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण था क्योंकि दिल दाईं ओर शिफ्ट हो गया था, डिवाइस का ओरिएंटेशन और हेरफेर पूरी तरह से अलग था। डिवाइस को सफलतापूर्वक बंद करने (माइक्रो-सर्जरी) के बाद बच्ची को अस्पताल से छुट्टी मिल गई और वह 48 घंटे के भीतर अपने पैतृक स्थान सिलीगुड़ी चली गई। वहीं अब बच्ची के पूरी तरह से सामान्य बनाने के लिए कटे होंठ और तालू की सर्जरी संभव होगी।

यह पहली बार था जब पीडीए डिवाइस बंद करना संभव था और एक शिशु में कई जन्म दोषों के साथ सबकुछ सफल रहा। अस्पताल के पूर्व और दक्षिण क्षेत्रीय सीओओ आर वेंकटेश ने कहा कि, “जीवन में सबसे बड़ा आशीर्वाद एक बच्चे की मदद करना है, क्योंकि सबसे अच्छे बच्चे ही होती हैं”। कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाधा क्या है या शारीरिक समस्या कितनी गंभीर है। आरएन टैगोर में हम किसी के भी स्वास्थ्य को ठीक करने में तत्पर रहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one × four =