नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के पुरुष जैवलिन थ्रो (भाला फेंकने) में सिल्वर मेडल जीता है। नीरज चोपड़ा ने चौथी कोशिश में 88.13 लंबा थ्रो किया। वहीं ग्रेनेडा के एंडर्सन पीटर्स ने गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने अपने आख़िरी थ्रो में अपना बेस्ट देते हुए 90.54 मीटर दूर भाला फेंका। 19 साल बाद किसी भारतीय को वर्ल्ड एथलिटिक्स चैंपियनशिप में मेडल मिला है। इससे पहले अंजू बॉबी जॉर्ज ने महिला लॉन्ग जंप में 2003 में कांस्य पदक जीता था।
अपने पहले तीन थ्रोज़ के बाद तक तो नीरज चोपड़ा शीर्ष तीन में भी शामिल नहीं हो सके थे। हालांकि चौथे राउंड में वापसी करते हुए वह दूसरे स्थान पर आ गए। वर्ल्ड चैंपियनशिप मुक़ाबले में ग्रेनेडा के एंडर्सन पीटर्स शुरुआत से ही पहले स्थान पर बने हुए थे और अपने आख़िरी राउंड में अपनी श्रेष्ठ देते हुए उन्होंने मुक़ाबला अपने नाम कर लिया। आख़िरी थ्रो में उन्होंने 90.54 मीटर की दूरी तक थ्रो किया।
नीरज चोपड़ा से गोल्ड मेडल की उम्मीद की जी रही थी और निश्चित तौर वह इसके एक मज़बूत दावेदार थे लेकिन उनके शुरुआती तीन थ्रोज़ के बाद इसकी उम्मीद धुंधली पड़ गई थी। नीरज ने फ़ाउल के साथ शुरुआत की और 82.39 मीटर के दूसरे प्रयास के साथ मुक़ाबले में बने रहे। अपने तीसरे में 86.37 के अच्छे थ्रो के साथ इसे बेहतर किया लेकिन इस समय तक भी वो शीर्ष तीन से बाहर ही थे। हालांकि, चौथे प्रयास के बाद उनके लिए अंक-तालिका बदल गई और वह दूसरे स्थान पर आ गए।
इसके साथ ही भारत के लिए सिल्वर मेडल तो पक्का हो गया था लेकिन नीरज के पांचवें और छठे राउंड के फ़ाउल हो जाने से वह गोल्ड से दूर रह गए। बता दें कि अंजू बॉबी जॉर्ज एकमात्र भारतीय हैं, जिन्होंने वर्ल्ड एथलिटिक्स चैंपियनशिप में 2003 में कांस्य पदक जीता था. उन्होंने लॉन्ग जंप में यह मेडल जीता था। वर्ल्ड एथलिटिक्स चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा ने 88.39 मीटर के अपने पहले ही थ्रो के साथ फ़ाइनल में जगह बनाई थी। यह उनके करियर का तीसरा सबसे बेहतरीन थ्रो था। उनका यह थ्रो केवल ग्नेनेडा के एंडर्सन पीटर्स से पीछे थे।