आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार लड़की की मां ने कहा- ‘चाहती हूं कि उसे सजा मिले’

कोलकाता : बालों का जुड़ा बांधे और चेहरे पर मुस्कान लिये रास्ते में हर परिचित व्यक्ति का अभिवादन करते हुए रोज साइकिल से कॉलेज जाने वाली प्रज्ञा देबनाथ को हुगली जिले में यहां के लोग इसी रूप में जानते थे। हालांकि,यह चार साल पहले की बात है। इस बीच, प्रज्ञा को ढाका में आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उसका नया नाम आयेशा जन्नत है और वह आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) की कथित सदस्य बताई जा रही है।

उसकी मां को वह दिन अच्छी तरह से याद है जब प्रज्ञा कभी नहीं लौटने के लिये घर से निकली थी। वर्ष 2016 में दुर्गा पूजा से पहले एक दिन सुबह में प्रज्ञा सूती साड़ियों के लिये मशहूर इस छोटे से शहर से यह कहते हुए रवाना हो गई कि वह किसी जरूरी काम से एक छोटे से सफर पर जा रही है। उसकी मां गीता ने कहा, ‘‘यह 25 सितंबर 2016 की सुबह का वक्त था जो पहले जैसा ही था। कुछ ही घंटे बाद जब हमने प्रज्ञा को कॉल किया तब उसका मोबाइल फोन बंद मिला। हमने आसपास हर जगह छान मारा लेकिन वह कहीं नहीं मिली।

आखिरकार हम पुलिस के पास गये और एक शिकायत दर्ज कराई। ’’गीता ने बताया कि दो दिन बाद उनके पास उनकी बेटी का एक फोन कॉल आया। उन्होंने रोते हुए कहा, ‘‘प्रज्ञा ने मुझे दोपहर के करीब कॉल किया और मुझसे कहा कि वह बांग्लादेश में है तथा उसने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है। ’’ गीता (50) ने कहा, ‘‘उसने मेरा आशीर्वाद मांगा और कहा कि यह आखिरी बार है जब वह हमसे बात कर रही है। तब से उसका नंबर बंद आता रह।

प्रज्ञा अब 25 साल की है। जब वह लापता हुई थी उस वक्त धनियाखली में वह स्नातक तृतीय वर्ष की छात्रा थी। उसके पड़ोसी बताते हैं कि उसकी ज्यादा सहेलियां नहीं थी और वह शर्मीले स्वभाव की थी लेकिन उन लोगों को ऐसा कभी नहीं लगा था कि वह आतंकवादी बन जाएगी। सुशील बेड़ा नाम के एक पड़ोसी ने बताया, ‘‘वह कॉलेज जाने वाली एक साधारण लड़की थी, जब भी वह सड़क पर लोगों से मिलती तब उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी।

गीता ने कहा कि उनकी बेटी साइकिल से रोज सुबह एक किमी दूर कॉलेज जाती थी और दोपहर तक लौटती थी। उसके व्यवहार में कुछ भी असमान्य सा नहीं था। प्रज्ञा के पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। आतंकवाद के आरोप में उसकी गिरफ्तारी के बाद उसकी मां ने रोते हुए कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि उसे कानून के मुताबिक सजा मिले। ’’

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