नई दिल्ली/लखनऊ । राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बना कर भाजपा ने जो बड़ा राजनीतिक दांव खेला था, उसका असर अब साफ-साफ नजर आ रहा है। नीतीश कुमार समेत एनडीए के सभी सहयोगी दल भाजपा उम्मीदवार के साथ पूरी ताकत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। वहीं एनडीए के खेमे से बाहर के दो महत्वपूर्ण राजनीतिक दल (जो अपने-अपने राज्य में सरकार चला रहे हैं) – बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने एनडीए उम्मीदवार के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर कर उनकी जीत की राह को शुक्रवार को ही आसान कर दिया है।
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि भाजपा के इस दांव ने अब विपक्षी खेमें में भी सेंध लगा दी है। शनिवार को बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी अपनी पार्टी के मूवमेंट का हवाला देते हुए और आदिवासी समाज की कर्मठ महिला को देश की राष्ट्रपति बनाने की बात कहते हुए द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा कर दी।
भाजपा के इस दांव ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन में भी खलबली मचा दी है। झारखंड में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही झारखंड मुक्ति मोर्चा भी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के नाम पर दबाव में है। झारखंड मुक्ति मोर्चा यह फैसला ही नहीं कर पा रहा है कि पहले की गई घोषणा के मुताबिक विरोधी दलों के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन किया जाए या पार्टी की विचारधारा और पहचान के मद्देनजर एक आदिवासी महिला (द्रौपदी मुर्मू) का समर्थन किया जाए।
यूपीए गठबंधन में शामिल झामुमो पर दबाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शनिवार को इस संबंध में फैसला करने के लिए पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन की अध्यक्षता और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों की बैठक में इसे लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं किया जा सका। बताया जा रहा है कि इस बैठक में राष्ट्रपति चुनाव में निर्णय लेने के लिए शिबू सोरेन को अधिकृत कर दिया गया है और इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि दिल्ली जाकर सीएम हेमंत सोरेन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे और इसके बाद ही पार्टी यह फैसला करेगी कि राष्ट्रपति चुनाव में किसे समर्थन दिया जाए।
एक आदिवासी महिला, पहली बार देश की राष्ट्रपति बनने जा रही है भाजपा के इस दांव ने कई विरोधी दलों को दबाव में ला दिया है। देशभर के अन्य राज्यों से जुड़े विरोधी दलों के आदिवासी विधायक और सांसद भी भाजपा के इस दांव से मनोवैज्ञानिक तौर पर दबाव में आ गए हैं। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने तो प्रदेश के सभी विधायकों (कांग्रेस समेत) से खुलकर ओडिशा की बेटी को राष्ट्रपति बनाने के लिए वोट देने की अपील भी कर दी है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एच. डी. देवेगौड़ा द्वारा एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की तारीफ करने भी भाजपा का पक्ष और ज्यादा मजबूत हो गया है।
शुक्रवार को नामांकन के दौरान भाजपा द्वारा किए गए शक्ति प्रदर्शन से यह तो साबित हो गया है कि द्रौपदी मुर्मू आसानी से राष्ट्रपति चुनाव जीतने जा रही है । उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती के समर्थन ने एनडीए उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू के जीत के अंतर को और ज्यादा बढ़ा दिया है। देश के राजनीतिक माहौल, आगामी चुनावों और विपक्षी राजनीतिक दलों की सधी प्रतिक्रिया से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि आने वाले दिनों में कई विपक्षी दल अपनी-अपनी राजनीतिक मजबूरियों के कारण एनडीए उममीदवार को समर्थन देने का ऐलान कर सकते हैं। ऐसे में जाहिर तौर पर यह कहा जा सकता है कि एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बना कर भाजपा ने जो बड़ा राजनीतिक दांव खेला था, वो पूरी तरह से कामयाब होता नजर आ रहा है।