‘हरित रणनीतिक साझीदारी काे ठोस परिणामकारी बनाएंगे भारत-डेनमार्क’

कोपेनहेगन। भारत एवं डेनमार्क ने आज अपनी हरित रणनीतिक साझीदारी के ठाेस परिणामाें को जल्द से जल्द फलीभूत करने के लिए नये कदमों पर चर्चा की तथा नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, आर्कटिक क्षेत्र के संरक्षण, कौशल विकास एवं जनता के बीच संपर्क मजबूत करने को लेकर कुछ अहम फैसले किये।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने आज यहां अपनी तीसरी शिखर स्तरीय बैठक में ये निर्णय लिये तथा यूक्रेन-रूस युद्ध और हिन्द प्रशांत क्षेत्र सहित समान हितों से जुड़े कई वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार विमर्श किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों की एकांत में वार्तालाप के बाद शुरू हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा एवं डेनमार्क में भारत की राजदूत पूजा कपूर मौजूद थीं। भारत ने यूक्रेन में तत्काल युद्धविराम किये जाने और समस्या के समाधान के लिए बातचीत एवं कूटनीति के रास्ता अपनाने का आह्वान किया। जबकि डेनमार्क ने भारत से अपेक्षा की कि वह इस युद्ध को रोकने के लिए रूस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा। बैठक के बाद दोनों देशों ने परस्पर सहयोग के नौ समझौतों पर भी हस्ताक्षर किये।

ये समझौते आव्रजन एवं मोबिलिटी, प्रदूषण रहित जहाजरानी, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, जल प्रबंधन, कौशल विकास, व्यावसायिक शिक्षा एवं उद्यमिता, पशुपालन एवं डेयरी, ऊर्जा नीति संवाद की शुरुआत होने की घोषणा, जीवाणु प्रतिरोधक समाधान के अनुसंधान तथा स्टार्ट अप्स गठजोड़ को लेकर किये गये हैं। बैठक के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया। विदेश मंत्रालय के अनुसार बैठक में दोनों पक्षों ने भारत एवं डेनमार्क के बीच अनूठी द्विपक्षीय हरित रणनीतिक साझीदारी में प्रगति की समीक्षा की।

उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, आर्कटिक क्षेत्र के संरक्षण, कौशल विकास एवं जनता के बीच संपर्क मजबूत करने के बारे में भी अहम चर्चा की। बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत एवं डेनमार्क, दोनों देश लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के शासन जैसे मूल्यों को साझा करते ही हैं। साथ में दोनों की कई अनुपूरक क्षमताएं भी हैं। उन्होंने कहा कि 200 से अधिक डेनिश कंपनियां भारत में पवन ऊर्जा, जहाजरानी, कंसल्टेंसी, खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग आदि विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं।

इन्हें भारत में बढ़ती ‘कारोबार सुगमता’ और हमारी व्यापक आर्थिक सुगमता का लाभ मिल रहा है। भारत के अवसंरचना क्षेत्र और ग्रीन इंडस्ट्रीज में डेनिश कम्पनियों और डेनिश पेंशन फंड्स के लिए निवेश के बहुत अवसर हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज हमने भारत-यूरोपीय संघ रिश्तों, हिन्द प्रशांत और यूक्रेन सहित कई क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत की। हम आशा करते हैं कि भारत ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत यथाशीघ्र संपन्न होंगी। हमने एक मुक्त, स्वतंत्र, समावेशी और नियम आधारित हिन्द प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

हमने यूक्रेन में तत्काल युद्धविराम और समस्या के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने की अपील की।” डेनमार्क की प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन ने कहा कि भारत एवं डेनमार्क अपनी हरित रणनीतिक साझीदारी को ठोस परिणामों में बदलने के लिए बहुत तेजी से काम कर रहे हैं। भारत की हरित तकनीक को अपनाने के लिए उच्च महत्वाकांक्षाएं हैं। उन्हें इस बात का गर्व है कि डेनिश तकनीक उन्हें हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभा रही है।

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