विकल्प की काव्य गोष्ठी में कवियों ने बांधा समां

बरेली । समाज के साहित्यिक योगदान में बराबर संलग्न विकल्प संस्था द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी के अध्यक्ष शायर विनय सागर जायसवाल, मुख्य अतिथि कवि रणधीर प्रसाद गौड़ धीर और विकल्प के अध्यक्ष राजनरायन गुप्ता ने मां शारदे की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम प्रारंभ किया। काव्य गोष्ठी में कवि इंद्रदेव त्रिवेदी ने मां शारदे की वंदना ‘मां शारदे मां भारती – तेरी उतारें आरती ‘ से की।

संचालन कवि गजल राज ने किया।काव्य गोष्ठी में शायर विनय सागर जायसवाल, रणधीर प्रसाद गौड़ धीर, इंद्रदेव त्रिवेदी, आनंद गौतम, रामधुनी निर्मल, राम प्रकाश सिंह ओज, अनुराग वाजपेयी, जगदीश निमिष, उपेंद्र सक्सेना, हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष, डॉ. सुचित्रा डे, रवि कुमार, कुमारी करिश्मा गुप्ता और राजनरायन गुप्ता की रचनाओं ने सामाजिक विसंगतियों पर खूब प्रहार किए, देश भक्ति की बयार बहाई और राजनीतिक व्यंग्य प्रस्तुत कर समां बांध दिया।

अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कवि रणधीर प्रसाद गौड़ धीर की यह पंक्तियां खूब पसंद की गईं –
‘विश्व युद्ध के बादल अब आकाश पे जाते हैं। शक्ति पर इतना घमंड लगता बौछारें हैं’।
कविवर इंद्रदेव त्रिवेदी की देशभक्ति की रचना ने वातावरण देशभक्ति का बना दिया –
लाख बुराई इसमें मिलतीं, फिर भी देश महान है।
सारे जहां में सबसे अच्छा, अपना हिंदुस्तान है।

लोकप्रिय शायर विनय सागर जायसवाल की गजल का ये शे॑र बेहद पसंद किया गया –
करोड़ों लाखों चिरागों को ये जलाते हैं।
है कायनात यह रोशन इन्हीं अमीरों से।।
काव्य गोष्ठी का संचालन कवि गजल राज ने किया और सभी का आभार विकल्प के अध्यक्ष राजनरायन गुप्ता ने किया।

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