प्रीति श्रीवास्तव की रचना

इश्क़ रूसवा न करो मुझको शिकायत होगी।
होगें बदनाम मुहब्बत में जलालत होगी।।

गर मुहब्बत हो गयी तो ये इनायत उसकी।
यदि रजा होगी खुदा की तो इजाजत होगी।।

है दुआ सबकी मुहब्बत रहे आबाद खुदा।
जाने अंजाने कही फिर न बगावत होगी।।

शोखियाँ और निखर जायें कलियों की फिर।
लाल फूलों सी शराबी सी तबियत होगी।।

करके परदा जो न निकले यूं गलियों से वो।
सोच लो फिर तो मुसीबत ही मुसीबत होगी।।

यार दीदार करेंगे ये गली के भौरें।
उनकी आँखों में झलकती तो शरारत होगी।।

फिर मुहब्बत की गजल गायेंगे आशिक भौरें।
उनको मिली ये सरेराह कयामत होगी।।

प्रीति श्रीवास्तव

प्रीति श्रीवास्तव

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