नयी दिल्ली। विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने गुरुवार को राज्य सभा में कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में भारत की भूमिका राष्ट्रीय हितों के अनुरूप है और इसमें सफलता हासिल की गयी है। जयशंकर ने सदन में ‘रुस-यूक्रेन युद्ध में भारत की भूूमिका’ से संबंधित एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हितों पर चलती है और भविष्य में राष्ट्रीय हितों के अनुरूप संचालित होगी। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी संतुलित विदेश नीति के कारण युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीय छात्रों और अन्य नागरिकों को निकालने में सफलता प्राप्त की है।
उन्होंने कहा कि रुस-यूक्रेन युद्ध भारत की नीति छह स्तरों पर चली है। इसमें रूस और यूक्रेन से हिंसा तुरंत बंद करने और बातचीत तथा कूटनीतिक प्रयासों के जरिए विवाद सुलझाने की अपील की गयी है। विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति से अलग-अलग फोन पर वार्ता की है। उन्होंने कहा कि सरकार युद्ध और इसके प्रभाव के संबंध में सभी पक्षों के संपर्क में हैं। यूक्रेन को मानवीय आधार पर दवाइयां और अन्य चिकित्सा उपकरण तथा मदद भेजी गयी है।
उन्होेंने जोर देकर कहा कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हितों पर आधारित होती है और भविष्य में भी यह आधार बना रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्रीय अखंडता में विश्वास रखता है। रूस-यूक्रेन भारत की स्थिति स्पष्ट है। दोनों देशों के सहयोग से ही भारतीय विद्यार्थियों यूक्रेन से निकाला जा सका है। भारत दोनों देशों के प्रति समान भाव रखता है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत की ऊर्जा सुरक्षा एवं ईंधन जरूरतों पर सीधा असर नहीं होगा। रूस से भारत अपनी जरूरत का एक प्रतिशत से भी कम कच्चा तेल आयात करता है।