जस्टिस जे.एस. वर्मा मेमोरियल ए.डी.आर और क्लाइंट काउंसलिंग प्रतियोगिता का उद्घाटन कार्यक्रम संपन्न

नयी दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति यू.यू. ललित ने अपने अभिभाषण में कहा “लंबी और खर्चीली कानूनी प्रक्रिया का एक सरल समाधान है ए.डी.आर. (मध्यस्थता) द्वारा मामले को सुलझाना।” “कैच देम यंग” विधि के विद्यार्थी लीगल एड क्लिनिक में अपना योगदान दे कर आसपास के क्षेत्रों के गरीब वर्ग के लोगों को कानून के प्रति जागृत और कानूनी सहायता दे।

बुधवार को नयी दिल्ली स्थित एन.डी.एम.सी. कन्वेंशन सेंटर में महाराजा अग्रसेन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज, रोहिणी के विधि विभाग और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के संयुक्त तत्वावधान में द्वितीय जस्टिस जे.एस. वर्मा मेमोरियल ए.डी.आर. और क्लाइंट काउंसलिंग प्रतियोगिता का उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का आरम्भ माँ सरस्वती की वंदना से हुआ। शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद करते हुए छात्रों ने एक मर्मस्पर्शी प्रस्तुति दी।

परिचयात्मक टिप्पणी देते हुए विधि विभाग की प्रधानाचार्या प्रो.डॉ. रजनी मल्होत्रा ढींगरा ने प्रतियोगिता की एक संक्षिप्त जानकारी देते हुए विधि विभाग की 2017 में स्थापना से ले कर अभी तक की उपलब्धियों, उद्येश्यों और भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया। अपने स्वागत भाषण में मैट्स (महाराजा अग्रसेन टेक्निकल एजुकेशन सोसाइटी) और महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय, बद्दी (हि.प्र.) के कुलाधिपति डॉ. नन्द किशोर गर्ग ने कहा कि युवा वर्ग को अपने इतिहास, संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम को भली भांति समझना होगा। देश की शक्ति को पहचानते हुए व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा। अभी भी आम आदमी के लिए न्यायालय में जाने की प्रक्रिया बहुत लंबी और खर्चीली है। जिसका एकमात्र हल है मध्यस्थता और ऑल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन।

समारोह में विशिष्ट अतिथि, सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति खानविलकर ने जस्टिस जेएस वर्मा द्वारा किए गए कार्यों और फैसलों की चर्चा की और समाज तथा महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा की।
समारोह के मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति यू.यू. ललित ने अपने अभिभाषण में कहा की वो तीन कारणों से आए हैं। पहला कारण जस्टिस जे.एस. वर्मा हैं जो हमेशा एक मार्गदर्शक और टॉर्च बियरर की तरह कार्य करते रहे। पर्यावरण के लिए किए गए उनके कार्यों की जस्टिस ललित ने चर्चा की।

दूसरा कारण उन्होंने बताया कि नालसा के चेयरमैन के तौर पर भी ये उनका दायित्व है कि एडीआर की प्रक्रिया को लोकप्रिय बनाना। रामायण और महाभारत के प्रसंग देते हुए उन्होंने बताया की अंगद और श्रीकृष्ण ने भी एडीआर की कोशिश कर समस्या को सुलझाना चाहा था। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण उनके आने का कारण था, “कैच देम यंग”। विधि के विद्यार्थी लीगल एड क्लिनिक में अपना योगदान दे कर आसपास के क्षेत्रों के गरीब तबके के लोगों को कानून के प्रति जागृत और कानूनी सहायता दे सकते हैं। समारोह के अंत में महाराजा अग्रसेन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज के महानिदेशक प्रो.डॉ. एस.के. गर्ग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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