कोलकाता । पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट में तृणमूल कांग्रेस के एक नेता की हत्या के बाद भड़की हिंसा में 8 लोगों को जिंदा जला दिया गया। इस घटना पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है और इस मामले में कोर्ट ने गुरुवार दोपहर 2 बजे से पहले केस डायरी और अब तक की जांच रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सच सभी के सामने जरूर आना चाहिए। साथ ही राज्य सरकार को भी निर्देश दिए गए हैं कि वो गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराए। इसके अलावा जहां इस हिंसा को अंजाम दिया गया, वहां किसी भी चीज से छेड़छाड़ नहीं करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि इसके लिए उस जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।
हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक घटनास्थल पर 24 घंटे कैमरे से निगरानी रखी जाएगी, साथ ही सीसीटीवी के डीवीआर ज्यादा मेमोरी के होने चाहिए। कैमरे डिस्ट्रिक्ट जज की मौजूदगी में लगाए जाएंगे। सबूत इकट्ठा करने के लिए सीएफएसएल टीम दिल्ली से बुलाई गई है। जब तक ये टीम सभी जरूरी चीजें मौके से इकट्ठा नहीं कर लेती है, तब तक उस जगह की कड़ी निगरानी रखी जाएगी। कलकत्ता हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस डिविजन बेंच ने 24 मार्च दोपहर दो बजे तक मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। साथ ही मामले की जांच को लेकर लगातार निर्देश जारी किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि कोर्ट इस मामले पर रोजाना सुनवाई जारी रख सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले सुनवाई के दौरान सीबीआई ने इस केस की जांच लेने की बात भी कही थी। नेशनल एजेंसी ने कोर्ट को कहा कि अगर हाई कोर्ट आदेश देता है तो वो इस मामले की जांच को ले सकते हैं।
बता दें कि इस हिंसा के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की है। वहीं कुछ विपक्षी नेताओं का कहना है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिए। इसके बाद खुद ममता बनर्जी ने भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर दिया गया है। ममता ने आगे कहा कि वो बीरभूम में हत्याओं को सही नहीं ठहरा रही हैं, लेकिन यूपी, गुजरात, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ऐसी कई घटनाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि ये पश्चिम बंगाल है यूपी नहीं, इसीलिए यहां आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।