पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी । रविवार का ग्रह सूर्य ग्रह है। रविवार की प्रकृति ध्रुव है। यह भगवान विष्णु और सूर्यदेव का दिन है। मान, सम्मान, पद प्रतिष्ठा, अच्छा स्वास्थ्य व तेजस्विता पाने के लिए रविवार के दिन उपवास रखना चाहिए। यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति निम्निलिखित अनुसार है तो रविवार का व्रत करना चाहिए। आओ जानते हैं कि किसे रविवार का व्रत रखना चाहिए।
1. यदि आपकी राशि सिंह है तो आपको रविवार का व्रत रखना चाहिए।
2. कुंडली में सूर्य के साथ शनि हो या राहु हो तो भी आपको रविवार का व्रत रखना चाहिए।
3. राहु यदि लग्न में है और सूर्य किसी भी भाव में स्थित है या पितृदोष है तो भी आपको रविवार का व्रत रखना चाहिए।
4. यदि सूर्य और मंगल साथ हों और चन्द्र और केतु भी साथ हों, तो भी उपाय के साथ ही व्रत भी रखना चाहिए।
5. सूर्य के शुक्र, राहु और शनि शत्रु हैं यदि सूर्य इनसे ग्रसित हो रहा है तो भी रविवार का व्रत रखना चाहिए।
6. सूर्य यदि छठे, सातवें और आठवें भाव में हो तो भी उपाय के साथ ही व्रत भी रखना चाहिए।
7. सिरदर्द, अकड़न, धड़कन, बेहोशी, कफ, बलगम, दांतों में तकलीफ हो तो भी उपाय के साथ ही व्रत भी रखना चाहिए।
8. जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो उसे समाज में मान-सम्मान नहीं मिलता है। उसे जीवनभर कष्ट रहता है। उसके जीवन में खुशहाली नहीं आ पाती। इसीलिए रविवार के दिन व्रत करने का महत्व बढ़ जाता है।
9. सूर्य खराब हो तो गुरु, देवता और पिता साथ छोड़ देते हैं। राज्य की ओर से दंड मिलता है। नौकरी चली जाती है। सोना खो जाता है या चोरी हो जाता है। यदि घर पर या घर के आस-पास लाल गाय या भूरी भैंस है तो वह खो जाती है या मर जाती है। ऐसी स्थिति में भी सूर्य के उपाय के साथ ही रविवार का व्रत रखना चाहिए।
10. यदि सूर्य और शनि एक ही भाव में हो तो घर की स्त्री को कष्ट होता है। यदि सूर्य और मंगल साथ हो और चन्द्र और केतु भी साथ हो तो पुत्र, मामा और पिता को कष्ट। ऐसी स्थिति में भी सूर्य के उपाय के साथ ही रविवार का व्रत रखना चाहिए।
उपाय :
घर की पूर्व दिशा वास्तुशास्त्र अनुसार ठीक करें।
भगवान विष्णु की उपासना।
बंदर, पहाड़ी गाय या कपिला गाय को भोजन कराएं।
सूर्य को अर्घ्य देना।
रविवार का व्रत रखना।
मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकलें।
पिता का सम्मान करें। प्रतिदिन उनके चरण छुएं।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
गायत्री मंत्र का जाप करें।
तांबा, गेहूं एवं गुड़ का दान करें।
प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें।
तांबे के एक टुकड़े को काटकर उसके दो भाग करें। एक को पानी में बहा दें तथा दूसरे को जीवनभर साथ रखें।
ॐ रं रवये नमः
या
ॐ घृणी सूर्याय नमः मन्त्र का 108 बार (1 माला) जाप करें।
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जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
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