नयी दिल्ली। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर 8.10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देने का निर्णय किया गया है। यादव ने गुवाहाटी में कर्मचारी भविष्य निधि के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक के बाद यह घोषणा की। वित्त वर्ष 2020-21 में ईपीएफ की ब्याज दर 8.50 प्रतिशत रही थी। यह वर्ष 1977-78 के बाद से सबसे कम है। उस समय ईपीएफ की ब्याज दर आठ प्रतिशत थी। यादव ने कहा कि सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। ईपीएफ का धन श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही बाजार में निवेश किया जाता है।
लंबे विचार-विमर्श के बाद श्रमिकों के ईपीएफ पर 8.1 प्रतिशत की दर से ब्याज देने का फैसला किया गया है। यह अन्य जमा राशियों पर दिए जाने वाले ब्याज के मुकाबले सबसे अधिक है। सीबीटी के ब्याज दर पर फैसला लेने के बाद इसे वित्त मंत्रालय की अनुमति के लिए भेजा जाता है। केंद्रीय न्यास बोर्ड ने मानव संसाधन, सूचना प्रौद्योगिकी, ईपीएफओ का दायरे और संबंधित मुद्दों पर चार समितियों का गठन किया है। इसके अलावा ईपीएफ पेंशन में सुधार के लिए 18 बैठकें की गयी है और विस्तृत विचार विमर्श किया गया है।