अनुव्रत मंडल की याचिका कलकत्ता हाई कोर्ट ने की खारिज, लटकी गिरफ्तारी की तलवार

कोलकाता । शुक्रवार को कोर्ट ने अनुब्रता मंडल से कहा कि जांच में सहयोग करें। न्यायालय इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। आज की सुनवाई की शुरुआत में जज ने पूछा, “जब मुख्य आरोपी नहीं है तो गिरफ्तारी का अनुमान क्यों? अगर जांच एजेंसी किसी कारण से समन भेजती है तो अदालत बार-बार ढाल नहीं बन सकती।” पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित गौ तस्करी मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए बीरभूम जिले से तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता अनुव्रत मंडल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। गुरुवार को लगाई गई याचिका को शुक्रवार कोर्ट ने खारिज कर दिया है। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि फिलहाल मामले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। अगर वे चाहें तो अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगा सकते हैं।

गत सात मार्च को सीबीआई ने उन्हें नोटिस देकर आगामी 14 मार्च को पूछताछ के लिए निजाम पैलेस बुलाया है। इस नोटिस के बाद केंद्रीय एजेंसी की ओर से स्पष्ट कर दिया गया था कि यह तीसरा नोटिस है और अगर इस बार भी अनुव्रत मंडल पूछताछ के लिए हाजिर नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कदम उठाया जाएगा। इसके पहले उन्होंने दो बार सीबीआई नोटिस को दरकिनार कर दिया था, यह कहते हुए कि उनकी सेहत ठीक नहीं है। इसके पहले कोयला तस्करी मामले में भी सीबीआई उन्हें नोटिस भेजी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी थी जिसके बाद उन्हें गौ तस्करी मामले में बुलाया गया है।

उनके अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया है कि वह गौ तस्करी मामले में भी पूछताछ में पूरी तरह से सहयोग करने के लिए तैयार हैं बशर्ते उनके खिलाफ किसी भी तरह का कठोर कदम ना उठाया जाए। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि जांच में सहयोग करें। न्यायालय इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। आज की सुनवाई की शुरुआत में जज ने पूछा, “जब मुख्य आरोपी नहीं है तो गिरफ्तारी का अनुमान क्यों? अगर जांच एजेंसी किसी कारण से समन भेजती है तो अदालत बार-बार ढाल नहीं बन सकती। सीबीआई का हाथ इस तरह से बाधक नहीं हो सकते है। यदि आवश्यक हो, तो आप अग्रिम जमानत मांग सकते हैं। अनुब्रत मंडल कलकत्ता आ गए हैं। राज्य पुलिस का व्यवहार सीबीआई से कम क्या है?

एएसजी, एसपी राजू ने सीबीआई की ओर से कहा, “आईओ फोन नंबर से शुरू करके सब कुछ भेजा गया है। सहयोग नहीं किया गया है। कहते हैं दूर नहीं जा सकते, लेकिन एसएसकेएम इलाज के लिए आये हैं। फेसबुक से पता चलता है कि उन्होंने कहीं जाना बंद नहीं किया है।” सीबीआई ने ऑनलाइन पूछताछ पर आपत्ति जताई। इसके बाद जज ने अनुब्रत मंडल की याचिका खारिज कर दी है। इस बार गेंद सीबीआई और अनुब्रत मंडल के पाले में है। अब यह देखना होगा कि सीबीआई आगे क्या कदम उठाती है।

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