कोलकाता : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने 10 जून को कोलकाता के एक शवदाह गृह में कोरोना वायरस (कोविड-19) के संदिग्ध मरीजों के शवों के निपटान मामले में पश्चिम बंगाल सरकार से छह सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। एनएचआरसी ने बिपुल चट्टोपाध्याय की उस शिकायत पर यह कार्रवाई की है जिसमें कहा गया है कि 13-14 अज्ञात शवों के साथ अशोभनीय बर्ताव किया गया।
एनएचआरसी ने इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त और कोलकाता नगर निगम के आयुक्त को सोमवार को पत्र लिखकर उनसे जवाब मांगा है। यह शिकायत 17 जून को भेजी गयी थी जो एनएचआरसी के समक्ष सोमवार को आया। एनएचआरसी ने पत्र में कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि कोलकाता नगर निगम के कर्मियों ने संदिग्ध कोरोना मरीजों के 13-14 अज्ञात शवों के साथ अभद, एवं गैर जिम्मेदाराना तरीके से व्यवहार किया था।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में निगम कर्मियों को गरिया शवदाह गृह के बाहर मृत व्यक्ति के शवों को चिमटे से घसीटते हुए और एक वैन में लोड करते हुए देखा गया था। शवों के शरीर बिना कपड़ों के थे और कुछ शव क्षत-विक्षत हो चुके थे जबकि कुछ अन्य शवों पर त्वचा की कोई परत नहीं थी।
पत्र में उस बात का भी जिक्र किया गया है कि पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग और कोलकाता पुलिस ने मामले की उचित जांच के बिना वीडियो को नकली करार देते हुए इसे खारिज कर दिया था। शिकायतकर्ता आवश्यक कार्रवाई के लिए आयोग के हस्तक्षेप की मांग कर रहा है। सहायक रजिस्ट्रार के पत्र में कहा गया है और इस मामले में छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है।
इस घटना को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ममता बनर्जी सरकार की आलोचना करते हुए यहां तक कहा था कि अमानवीय करतूत को अंजाम देने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय सरकार सच्चाई को उजागर करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने पर आमदा है।