आजाद जैसे लोग सदियों में पैदा ह़ोते हैं
कोलकाता, 28 फ़रवरी। महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद की पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय कवि संगम की मध्य कोलकाता इकाई द्वारा संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरधर राय की अध्यक्षता में एक अभूतपूर्व ऑनलाइन काव्योत्सव का सफल आयोजन किया गया, जिसका अत्यंत ही कुशल संचालन किया कवयित्री जूही मिश्रा एवं पुष्पा साव ने। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे राजस्थान परिषद के महामंत्री अरुण प्रकाश मल्लावत एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में रहे संस्था के संरक्षक उमेश चंद तिवारी, जिनकी गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम में केसरिया रंग बिखेर दिया। कार्यक्राम का शुभारम्भ दक्षिण हावड़ा जिला की अध्यक्ष हिमाद्रि मिश्रा द्वारा सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति के साथ हुआ।
तत्पश्चात मध्य कोलकाता इकाई के अध्यक्ष रामाकांत सिन्हा ने उपस्थित सभी काव्य रसिकों का अभिनन्दन किया और महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर प्रारम्भ किया एक ऐसा अद्भुत काव्योत्सव, जिसमें एक से एक बेजोड़ रचनाकारों ने शौर्य से परिपूर्ण रचनाएँ प्रस्तुत कर सभी सुधि जनों का मन मोह लिया। इन रचनाओं में प्रांतीय महामंत्री रामपुकार सिंह की ‘आज़ाद थे, आज़ादी ख़ातिर मरने को तैयार थे’, मध्य कोलकता इकाई के अध्यक्ष रामाकांत सिन्हा की ‘इस तरह न मुझको सताया करो’, जिला संरक्षक उमेश चंद तिवारी की ‘मन को करले तू निर्मल’, जिला महामंत्री स्वागता बसु की ‘न जाने क्यूँ ये दिल हारा है’, पुष्पा साव की ‘वो चाँद है मगर चाँद से भी ज्यादा प्यारा’, हिमाद्रि मिश्रा की ‘आज़ाद नाम ही स्मारक है’, सुदामी यादव की ‘हे भारत के अमर शहीद’, आलोक चौधरी की ‘वन्देमातरम बोल रहा आज़ाद था’, रेहान पठान की ‘हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई कहने में इंसान’, कामायनी संजय की ‘रंग केसरिया है’, कंचन राय की ‘माँ चरणों में तेरे जन्नत है’, संचिता सक्सेना की ‘माँ से मैं’, एवं ऋशिका सरावगी की ‘देखा था आपको जब पहली बार’ सभी के हृदय को छू गयी।
मुख्य अतिथि अरुण मल्लावत ने अपने वक्तव्य में सभी रचनाकारों की प्रशंसा की एवं उनका हौसला बढ़ाया।श्रोताओं में बलवंत सिंह, श्यामा सिंह, अनिल ओझा नीरद एवं आकाश केडिया ने, अपनी उपस्थिति से – कार्यक्रम की शोभा को और भी बढ़ा दिया। कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण रहे प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरधर राय जिन्होंने क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद की माँ और उनके बाल्यकाल के एक मित्र जिन्हें वे प्रेम से ‘बच्चन’ कहकर पुकारते थे, उनसे जुड़े कई प्रसंगों को सभी के साथ साझा करके माहौल को और भी रोचक बना दिया। चंद्रशेखर आज़ाद की माँ को याद करते हुए उन्होंने अपनी माँ पर आधारित एक बेहद ही संवेदनशील कविता ‘जाने क्यूँ माँ की याद आज फिर आई, और फिर जब आई तो बहुत आई बहुत आई बहुत आई’ सुनाई तो उपस्थित सभी की आँखों से आँसू छलक पड़े। ऐसा लगा मानो जननी और जन्मभूमि दोनों के स्नेहमयी आँचल ने भावनाओं की सरयू को स्पर्श कर लिया हो। अंत में जिला महामंत्री स्वागता बसु ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन कर यह अभूतपूर्व कार्यक्रम सुसंपन्न किया।
उत्तम