कोलकाता । बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि- ‘गंगा से कटाव रोकने के लिए उठाएं कदम, 1000 करोड़ की संपत्ति का हुआ है नुकसान’। पश्चिम बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद और नदिया जिले में गंगा नदी से भूमि कटाव एक बड़ी समस्या है। ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नदी के कटाव को रोकने के लिए कदम उठाने की अपील की है। पश्चिम बंगाल में गंगा से कटाव मालदा के साथ-साथ नदिया और मुर्शिदाबाद जिले में भी बड़ी समस्या बन गई है। मानसून के दौरान नदी का कटाव एक बड़ी समस्या है। उस समय देखते ही देखते गांव के गांव गंगा में समा जाते हैं।
इससे पहले भी ममता बनर्जी ने केंद्र की भूमिका पर सवाल उठाया था और इस बार उन्होंने कटाव रोकने के लिए गंगा एक्शन प्लान के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। ममता बनर्जी ने पत्र लिखकर केंद्र सरकार से कदम उठाने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि मानसून के अलावा भी प्रतिदिन नदी किनारे की भूमि गंगा-पद्मा कटाव का शिकार हो रही है। इससे स्थानीय लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री चिंतित हैं। इसलिए इस बार उन्होंने कटाव रोकने के लिए गंगा एक्शन प्लान के बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि नदी कटाव से पिछले 15 सालों में एक हजार करोड़ संपत्ति का नुकसान हुआ है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में तीन जिलों के कटाव पर विशेष जोर दिया है। इनमें मुर्शिदाबाद, मालदा और नदिया शामिल हैं। उन्होंने कटाव के लिए नदी के रुख में बदलाव को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने पत्र में कहा कि फरक्का बैराज के निर्माण से नदी की धारा प्रभावित हुई है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 2005 में फरक्का बैराज प्राधिकरण को अतिरिक्त अधिकार दिए थे, जिससे नदी तट के कटाव को रोका जा सके, इसे केंद्र सरकार ने 2017 में बदल दिया, जो केंद्र की ओर से एकतरफा किया गया था।
इससे पहले भी ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। 25 मई 2017 को लिखे एक पत्र में उन्होंने फरक्का अधिकारियों से नदी के कटाव को रोकने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि नदी तटों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय करने होंगे और इस बार इस पत्र में मुख्यमंत्री ने नदी कटाव से हुए नुकसान की मात्रा पर भी प्रकाश डाला है। ममता बनर्जी के मुताबिक पिछले 15 सालों में 2,800 हेक्टेयर उपजाऊ खेत का क्षरण हुआ है। एक हजार करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ है।
उन्होने आगे आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने 2017 में एकतरफा फैसला लिया था। फरक्का बैराज प्राधिकरण की शक्तियों को कम कर दिया गया था। विरोध के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ। फरक्का बैराज के अधिकारियों ने कटाव को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इसलिए इस बार फिर मुख्यमंत्री ने पत्र लिखा है। उन्होंने जल संसाधन मंत्रालय से कटाव रोकने के लिए उचित कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कटाव रोकने के लिए गंगा एक्शन प्लान को सही दिशा में ले जाने की अपील की।