नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उनकी बात नहीं सुनने के आरोप पर बृहस्पतिवार को पलटवार करते हुए कहा कि इसका मतलब यह है कि उन पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दबाव नहीं चलता। हरिद्वार जिले के मंगलौर में कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन के पक्ष में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बुधवार को एक साक्षात्कार में कहा कि राहुल सुनता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इस लाइन का मतलब आपको मैं बताता हूं। इसका मतलब है कि राहुल पर ईडी और सीबीआई का दवाब नहीं चलता, यह मेरी नहीं सुनता। इस पर मैं जितना भी दबाव डाल दूं,यह पीछे नहीं हटता।’’
इस संबंध में गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री सोचते हैं कि सबको उनसे डर लगता है, लेकिन उन्हें उनसे डर नहीं लगता। उन्होंने कहा, ‘‘उल्टा उनके अहंकार को देखकर मुझे हंसी आती है।’’ देश को अरबपतियों और गरीबों के दो हिस्सों में बांट कर ‘दो हिंदुस्तान’ बनाने के अपने आरोप को दोहराते हुए कांग्रेस नेता ने दावा किया कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी और गलत जीएसटी जैसे फैसलों को लागू कर छोटे व्यापारियों, दुकानदारों, किसानों और मजदूरों को बर्बाद कर दिया।
उन्होंने लोगों से पूछा कि क्या नोटबंदी से देश में काला धन समाप्त हो गया? कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यह कालाधन सफेद हो गया और भाजपा को मिल गया।गांधी ने कहा कि मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण उत्तराखंड सहित पूरा देश बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि देश को रोजगार अरबपति नहीं बल्कि छोटे व्यापारी, दुकानदार और किसान देते हैं जिन्हें केंद्र सरकार ने बर्बाद कर दिया।
राहुल गांधी ने कोरोना महामारी से निपटने में विफल रहने का भी आरोप लगाया और कहा कि जहां दूसरे देशों ने अपने नागरिकों से इससे सावधान रहने को कहा जबकि मोदी ने लोगों से थाली बजाने और मोबाइल फोन की रोशनी जलाने को कहा। जब आपके माता-पिता और बच्चों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत थी तो आपकी सरकार कहां थी?’’
गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के समय केंद्र सरकार ने मजदूरों को सड़कों पर बेसहारा छोड़ दिया जबकि कांग्रेस द्वारा उनके लिए की गयी बसों की व्यवस्था को भी भाजपा की सरकारों ने लेने से मना कर दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने हर साल दो करोड युवाओं को रोजगार का वादा किया था लेकिन उसने उनका भी रोजगार छीन लिया, जिनके पास रोजगार था।