बांग्लादेश सीमा पर मवेशियों की तस्करी केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर ही उठाए सवाल

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ‘जेल नहीं, जमानत’ के न्यायिक दर्शन पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को इस अंदेशे पर असीमित समय तक जेल में बंद नहीं रखा जा सकता कि मामले में जांच चल रही है। ऐसे में आरोपी को छोड़ा गया तो वह बाहर निकलकर बड़ी साजिश रच सकता है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने यह टिप्पणी करते हुए मोहम्मद इनामुल हक की जमानत याचिका मंजूर कर ली।

इनामुल मवेशियों की सीमा पार बांग्लादेश में तस्करी करने का मुख्य आरोपी है। मामले में एक बीएसएफ कमांडेंट को भी गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि तस्करी में घूस की रकम राजनीतिक दलों और स्थानीय अधिकारियों को दी जाती थी। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इनामुल की तरफ से दलील दी कि सीबीआई ने कथित मवेशी तस्करी मामले में पिछले वर्ष 6 फरवरी और 21 फरवरी को चार्जशीट फाइल की थी। उन्होंने कहा कि बीएसएफ कमांडेंट समेत मामले के अन्य आरोपी को जमानत मिल चुकी है, लेकिन कोलकाता हाई कोर्ट ने इनामुल को बेल देने से इनकार कर दिया है।

बावजूद इसके कि वह एक साल से जेल में बंद है जबकि इस केस में अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है। वहीं, सीबीआई की तरफ से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) अमन लेखी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता इनामुल हक तस्करी गिरोह का सरगना है जिसमें बीएसएफ कमांडेंट, कस्टम्स ऑफिसर, लोकल पुलिस और अन्य लोग मवेशियों की सीमा पार तस्करी करवाने में संलिप्त हैं।

उन्होंने कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि कोच्चि में एक मामले में इनामुल हक की पूर्व संलिप्तता से संकेत मिलता है कि उसे भारत-बांग्लादेश सीमा के पार मवेशियों की तस्करी के इसी तरह के अपराध करने की आदत है। उन्होंने कहा कि इनामुल ने लुक आउट नोटिस का भी उल्लंघन करते हुए बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल पहुंचा। इससे पता चलता है कि उसने लोकल पुलिस से सांठगांठ की थी जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा है।

जब उन्होंने कहा कि मामले में और कितनी बड़ी साजिश हो सकती है, इसकी जांच अभी चल रही है, तब जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस माहेश्वरी ने पूछा, ‘एक व्यक्ति को असीमित वक्त तक हिरासत में रखने से बड़ी साजिश की जांच में बाधा पड़ सकती है जबकि मामले के अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है? क्या एक साल दो महीने जांच के लिए काफी नहीं थे जिस वक्त से वह जेल में है?’ बेंच ने यह कहते हुए इनामुल को जमानत दे दी कि उसकी हिरासत जारी रखने का कोई मतलब नहीं बनता है।

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