पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी : धनु राशि बृहस्पति की आग्नेय राशि है और इसमें सूर्य का प्रवेश विशेष परिणाम पैदा करता है। इस समय ज्योतिषीय कारणों से शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं अतः इसे धनु खरमास भी कहते हैं। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे धनु संक्रांति कहा जाता है। सूर्य का किसी राशि में प्रवेश संक्रांति कहलाता है और जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे धनु संक्रांति कहा जाता है। धनु राशी बृहस्पति की आग्नेय राशि है और इसमें सूर्य का प्रवेश विशेष परिणाम पैदा करता है। इस समय ज्योतिषीय कारणों से शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं अतः इसे धनु खरमास भी कहते हैं।
इस समय विवाह क्यों वर्जित होता है?
*किसी भी विवाह का सबसे बड़ा उद्देश्य सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
*धनु राशी को सम्पन्नता की राशि माना जाता है।
*इस समय सूर्य धनु राशि में चला जाता है, जिसको सुख समृद्धि के लिए अच्छा नहीं माना जाता।
*इस समय अगर विवाह किया जाए तो न तो भावनात्मक सुख मिलेगा और न ही शारीरिक सुख।
नया व्यवसाय या कार्य क्यों शुरू न करें?
*धनु खरमास में नया व्यवसाय आरम्भ करना आर्थिक मुश्किलों को जन्म देता है, क्योंकि इस समय बिना चाहे खर्चे काफी बढ़ सकते हैं।
*इस अवधि में शुरू किए हुए व्यवसाय बीच में रुक जाते हैं।
*व्यवसाय में काफी कर्ज हो सकता है और लोगों के बीच में धन फंस सकता है।
*मकान बनाने या बेचने की गलती न करें
*संपत्ति बनाने का उद्देश्य संपत्ति का सुख पूर्वक उपभोग करना है।
*परन्तु अगर इस समय में मकान बनाया जाएगा तो उसका सुख मिल पाना काफी कठिन होगा।
*अगर ऐसा प्रयास किया जाए तो काम बीच में बाधाओं के कारण रुक भी सकता है।
*कभी-कभी दुर्घटनाओं की सम्भावनाएं भी बन जाती हैं।
*इस अवधि में बनाए गए मकान आम तौर पर कमजोर होते हैं और उनसे निवास का सुख नहीं मिल पाता है।
धनु खरमास में कौन से कार्य कर सकते हैं?
*अगर प्रेम विवाह या स्वयंवर का मामला हो तो विवाह किया जा सकता है।
*अगर कुंडली में बृहस्पति धनु राशी में हो तो भी इस अवधि में शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
*जो कार्य नियमित रूप से हो रहे हों उनको करने में भी खरमास का कोई बंधन या दबाव नहीं है।
*सीमान्त, जातकर्म और अन्नप्राशन आदि कर्म पूर्व निश्चित होने से इस अवधि में किए जा सकते हैं।
जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848