कोलकाता के आईसीसीआर में ‘भारत में आपदाओं के साक्षी’ प्रदर्शनी व पैनल चर्चा 30 नवंबर तक चलेगी

कोलकाता : “जब हम किसी आपदा के बारे में सोचते हैं, तो हम हमेशा हताहतों की संख्या या राहत सामग्री की मात्रा के बारे में सोचते हैं। हम उन लोगों के बारे में कभी नहीं सोचते, जो किसी तरह फिर से आने वाली आपदाओं के बीच भी जीते हैं। सुंदरबन जैसी जगहों पर लोगों के पास हर साल आपदाओं का ‘स्वागत’ करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है..हमें उनके साथ अधिक समावेशी रूप से सहयोग करना होगा, ताकि उनकी पीड़ा कम हो सके।” यह बात मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित अंशु गुप्ता ने कही, जो गूंज और ग्राम स्वाभिमान के संस्थापक हैं।

अंशु गुप्ता यहां आईसीसीआर में आयोजित एक पैनल चर्चा पर अपने विचार साझा कर रहे थे। उन्होंने यहां आयोजित फोटो प्रदर्शनी ‘आपदा-मिथक और वास्तविकता’ (25 नवंबर से 30 नवंबर तक) का अवलोकन भी किया। इस चर्चा में जाधवपुर विश्वविद्यालय में समुद्र विज्ञान अध्ययन की निदेशक-विद्यालय प्रो. सुगोतो हाजरा, सामाजिक कार्यकर्ता व हेल्थ एंड इको डिफेंस सोसाइटी की संचालक पिया चक्रवर्ती और वरिष्ठ पत्रकार अमल सरकार, विकास और पर्यावरण पत्रकार जयंत बसु, पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त डीजीपी अजय मुकुंद रानाडे जैसे विशेषज्ञ शामिल हुए।

उन्होंने बताया कि कैसे ग्रामीणों के साथ उनके काम ने उन्हें सामाजिक संगठनों को सरकार के आपदा विभाग के साथ जुड़कर काम करने के लिए प्रेरित किया।प्रदर्शनी की सभी तस्वीरें मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अंशु गुप्ता द्वारा 1999 से अब तक 10 से ज्यादा भारतीय राज्यों में खींची गई थीं। यह प्रदर्शनी आईसीसीआर कोलकाता में 30 नवंबर, 2021 तक जारी है। अंशु गुप्ता 25 नवंबर को दोपहर 3 बजे से प्रतिदिन प्रदर्शनी स्थल पर बातचीत के लिए मौजूद रहेंगे।

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