तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : समुद्र व नदियों से घिरे पूर्व मेदिनीपुर जिले को जल जमाव तथा बाढ़ की विभीषिका से स्थायी रूप से मुक्ति दिलाने को ले शनिवार को जनपद के मेचेदा में गहन मंथन हुआ। इसे लेकर स्थानीय विद्यासागर हाल में जिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता प्राध्यापक जगमोहन पाल ने की। मूल प्रस्ताव नारायण चंद्र नायक ने प्रस्तुत किया। सम्मेलन में कुल 14 नागरिक संगठनों के तकरीबन दो सौ प्रतिनिधि उपस्थित रहे। सम्मेलन में मूल वक्तव्य अशोक तरू प्रधान ने प्रस्तुत किया। जबकि मधुसूदन बेरा ने 10 सूत्री मांगों को लेकर भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की।
सम्मेलन में उत्पल प्रधान अध्यक्ष तथा नारायण चंद्र नायक व जगदीश साहू को संयुक्त सचिव मनोनीत करते हुए पूर्व मेदिनीपुर जिला बाढ़ निवारण प्रतिरोध कमेटी का गठन किया गया। सम्मेलन में ही आगामी नवंबर मेंं ही राज्य के सिंचाई मंत्री को ज्ञापन सौंपने समेत भावी आंदोलन की कर्मसूची स्वीकृत की गई। वक्ताओं ने कहा कि बारिश में केलेघई नदी का बांध टूटने की वजह से भगवानपुर , पटासपुर , एगरा और चंडीपुर के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे। हम इस समस्या से स्थायी मुक्ति चाहते हैं।
रेलनगरी खड़गपुर में महसूस की गई किसान आंदोलन की आंच !!
तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : आगामी 25 नवंबर को ऐतिहासिक किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने जा रहे हैं। नये कृषि कानून और बिजली बिल नीति को रद करने की मांग पर चल रहे आंदोलन को कुचलने की हर संभव कोशिश हुई लेकिन किसान अडिग रहे और इस दौरान 750 से अधिक किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस बीच सरकार ने कृषि कानून लागू न करने की घोषणा कर दी। इसे आंदोलनकारी किसानों की जीत बताते हुए एसयूसीआई ( कम्युनिस्ट ) की ओर से खड़गपुर के विभिन्न भागों में पथसभा का आयोजन किया गया।
शहर के इंदा, पुरातनबाजार, कौशल्या, बोगदा तथा बस स्टैंड आदि में सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करने वालों में गौरीशंकर दास, भास्कर पातर तथा अपर्णा प्रमाणिक प्रमुख रही। सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि किसान आंदोलन सही मायनों में जनांदोलन था, जिसने सरकार को झूकने को मजबूर कर दिया। सभी मांगें न माने जाने तक आंदोलन जारी रखने पर भी नेताओं नेबल दिया।