तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : सौ टके का सवाल, कि लॉकडाउन 3.0 तक जिस खड़गपुर को लगभग कोरोना मुक्त मान लिया गया था, वहां अचानक पॉजिटिव मामले अचानक बढ़ने क्यों लगे?? बड़ी संख्या में प्रवासियों का आगमन, लॉक डाउन में ढील, लापरवाही या फिर कुछ और? शहरवासी आपसी चर्चा में इस सवाल का उत्तर तलाशने में जुटे हैं। कोरोना संकट के अहसास और लॉक डाउन 1.0 की शुरुआत से ही शहर में कमोबेश अपेक्षित सतर्कता बरती गई।
लॉक डाउन व सोशल डिस्टेंसिंग समेत तमाम नियमों के पालन को लेकर शासन का रुख कभी नर्म तो कभी गर्म वाला रहा। यह कदाचित सामूहिक प्रयासों का ही नतीजा था कि दिल्ली से पार्सल स्पेशल ट्रेन से लौटे 11 आरपीएफ जवानों के कोरोना संक्रमित होने की घटना को छोड़ कोई गंभीर मामला लॉक डाउन के दौरान सामने नहीं आया।
इस वजह से लॉक डाउन 4.0 तक शहर को लगभग कोरोना मुक्त माना जा रहा था, लेकिन इसके बाद संक्रमण के नए मामले सामने आने लगे। आयमा और देवलपुर मामले के बाद चांदमारी अस्पताल के कैंटीन कर्मचारी के ही कोरोना संक्रमित होने की घटना चिंता की काली लकीरों को गहरा कर रही है। क्योंकि रिपोर्ट आने में देरी के चलते पीड़ित कई दिनों तक अस्पताल परिसर में ही कामकाज करता रहा। शासकीय अधिकारी भी कोरोना पॉजिटिव मामले बढ़ने की वजह तलाशने में लगे हैं। जवाब चाहे जो हो, लेकिन घटनाक्रम लोगों की चिंताएं बढ़ा रहा है।