कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सोमवार को इशारा किया कि संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे भरा होने वाला है क्योंकि विपक्षी दल “भारत को निर्वाचित निरंकुश शासन में बदलने से रोकने के लिए” सबकुछ करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच आयोजित करने की अनुशंसा की है। टीएमसी के राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्विटर पर कहा, “निर्लज्जता से लाए गए दो अध्यादेशों में ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया।
संसद का शीतकालीन सत्र अब से दो सप्ताह में शुरू होने वाला है। आश्वस्त रहें, विपक्षी दल भारत को निर्वाचित तानाशाही में बदलने से रोकने के लिए सबकुछ करेंगे।”आगामी सत्र के दौरान पार्टी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाने के लिए अध्यादेश लाने के केंद्र के कदम जैसे अन्य मामलों को उठा सकती है। वह महंगाई, किसानों का प्रदर्शन और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने जैसे मुद्दे भी उठा सकती है।
टीएमसी के लोकसभा में नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने जानना चाहा कि केंद्र को अध्यादेश क्यों लाने पड़े, जब शीतकालीन सत्र होने ही वाला है। पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि पार्टी की बैठक के दौरान अन्य विपक्षी खेमों के साथ सदन में समन्वय की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।उन्होंने विस्तार से बताया, “पेगासस विवाद को भी संसद में उठाया जाएगा। सरकार इस मुद्दे पर चर्चा से नहीं बच सकती।
हमारी रणनीति पर फैसला पार्टी सुप्रीमो एवं संसदीय दल की अध्यक्ष ममता बनर्जी की अगुवाई में होने वाली बैठक में किया जाएगा। बैठक के दौरान, अन्य विपक्षी दलों से सदन में समन्वय की रणनीति पर भी चर्चा की जाएगी।” इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में अपनी शानदार जीत के बाद टीएमसी, 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।