चंद शेर “बुद्धिजीवी”
पढ़े-लिखे किनारा कर गए सारे राजनीति से
चोर, डकैत बन रहे है नेता अपने हुंकार से,
मुश्किल भरी दौर से गुजर रही है यह देश
क्योंकि देश चल रहा है अनपढ़, गँवारों से।
बुद्धिजीवियों क्यों करते हो राम-राम हर किसीको
वक्त-बेवक्त क्यों देते हो सम्मान गँवारों को,
देश का हाल दिन प्रतिदिन बेहाल होता जा रहा है
ना चाहते हुए भी क्यों करते हो सलाम ऐसे नेताओं को।
देखकर भी अनदेखी ना किया करो हालातों को
सुनकर भी अनसुनी ना किया करो सच्चाईयों को
अब हद से बाहर हो चुकी है नेताओं की मनमानी
बहुत ही जरूरी है सफाई करने की ऐसे नेताओं को।
गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा