कोलकाता : पश्चिम बंगाल में इस साल हुए विधानसभा चुनावों के दौरान हुई हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा ना देने को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई। इस दौरान कोर्ट ने ममता सरकार के लापरवाही भरे रवैये को लेकर नाराजगी जाहिर की है। बता दें कि, सोमवार को सीबीआई ने राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर की गई जांच की स्टेटस रिपोर्ट कलकत्ता हाई कोर्ट के सामने पेश की। मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि, ‘यह एक गंभीर मामले को लेकर राज्य के बेपरवाह रवैया को दर्शाता है। जबकि यह बहुत ही गंभीर विषय है। इसके साथ ही एसआईटी का नेतृत्व कर रही अवकाशप्राप्त पूर्व मुख्य न्यायाधीश मंजूला चेल्लूर को हाईकोर्ट ने सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी। खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए एसआईटी के कामकाज पर सवाल खड़ा किया।
पीठ ने कहा कि अब तक सीबीआई ने सात मामलों में 40 प्रथम सूचना रिपोर्ट और आरोप पत्र दाखिल किए हैं। सीबीआई ने सोमवार को उस जांच की पहली स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जिस पर उच्च न्यायालय निगरानी कर रहा है। पीठ ने एसआईटी की सहायता के लिए भारतीय पुलिस सेवा के 10 अधिकारियों को नियुक्त करने के राज्य सरकार के कदम पर भी आपत्ति जताई है। सरकार ने अदालत को बताया था कि एसआईटी सदस्यों के साथ परामर्श के बाद अधिकारियों की नियुक्ति की गई, हालांकि वह इस संबंध में बैठक के मिनट्स पेश करने में विफल रही।
पीठ ने कहा, ‘एसआईटी की बैठक का कोई मिनट रिकॉर्ड में नहीं है। एसआईटी का नेतृत्व कर रहीं उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर को अधिकारियों की नियुक्ति से पहले विश्वास में नहीं लिया गया था। इसी साल अगस्त माह में कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने चुनावी हिंसा को लेकर सीबीआई और राज्य पुलिस की एक तीन सदस्यीय एसआईटी टीम से अलग-अलग जांच कराए जाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को चुनाव बाद हुई हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने का भी ऐलान किया था।