Kolkata: पश्चिम बंगाल विधासनभा चुनाव के बाद भाजपा से नाता तोड़ कर तृणमूल में शामिल हुए मुकुल रॉय की विधायक पद की सदस्यता खतरे में पड़ती दिख रही है। भाजपा ने मुकुल रॉय की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुकुल रॉय के खिलाफ भाजपा की अयोग्यता याचिका पर फैसला करने के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष के लिए 7 अक्टूबर की समय सीमा तय की है।
यदि स्पीकर बिमान बनर्जी फैसला नहीं करेंगे, तो हाईकोर्ट इस संबंध में निर्णय लेगा। उल्लेखनीय है कि तृणमूल में शामिल होने के बाद भाजपा ने उनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी और उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की थी, लेकिन विधानसभा में यह मामला लंबा खिंच रहा था। उसके बाद भाजपा ने इस मामले पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसी मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया।
इस बीच, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस के नेता मुकुल रॉय को विधायक पद से हटाने की मांग की है। इस मांग के साथ अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक आवेदन दाखिल किया था। शुभेंदु अधिकारी ने दलबदल विरोधी कानून के तहत रॉय को विधायक पद से हटाने की मांग उठाई है। सुभेंदु ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में कहा कि पिछले 10 साल में तृणमूल के शासन में दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं हो पाया है। 50 से अधिक विधायकों ने दल बदले हैं।
उल्लेखनीय है कि मुकुल रॉय कुछ महीने पहले ही भाजपा से तृणमूल में शामिल हुए थे। पश्चिम बंगाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में मुकुल रॉय ने कृष्णानगर सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की थी, लेकिन 11 जून को वापस तृणमूल में लौट गए थे। भाजपा ने उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।