Kolkata: शिक्षक नियुक्ति में बार-बार धांधली और कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन नहीं होने को लेकर हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने मंगलवार को ममता सरकार को कड़ी फटकार लगाई और सुनवाई से खुद को किया अलग। स्कूल सेवा आयोग (SSC) के कार्यों को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि अब उन्हें एसएससी पर कतई भरोसा नहीं रह गया है और शिक्षक नियुक्ति में धांधली से संबंधित मामलों की सुनवाई नहीं कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने खुद को से अलग करने की घोषणा की।
उल्लेखनीय है कि SLST के गणित विषय में भर्ती में गड़बड़ी सामने आने के बाद न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने कहा, “मुझे एसएससी पर कतई भरोसा नहीं है।” नौकरी के लिए परीक्षा देने वाले गोविंद मंडल ने भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कराई थी। उसी याचिका के जवाब में मंगलवार को हाईकोर्ट ने यह निर्णय सुनाया।
गोविंद मंडल ने आरोप लगाया था कि मेरिट लिस्ट में 214 नंबर पर होने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं मिली, जबकि मेरिट लिस्ट में 252 नंबर के उम्मीदवार को नौकरी मिल गई। उन्होने सूचना का अधिकार कानून के तहत मामले की जानकारी मांगी थी। इसमें पता चला कि उसे परीक्षा में 80 प्रतिशत अंक मिले, नौकरी नहीं मिली, लेकिन 56.7 फीसदी अंक पाने वाले को नौकरी मिल गई। इसके बाद कोर्ट में मामला दाखिल होने के बाद एसएससी ने अपनी गलती स्वीकार की है।
एसएससी ने मंगलवार को कोर्ट को बताया कि गलती सुधारने के बाद गोविंद को पहले ही नौकरी दी जा चुकी है, लेकिन आयोग के काम से खफा जज ने इस तरह की अनियमितताओं पर नाराजगी जाहिर की और मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि हाल ही में वकील फिरदौसी शसीम ने कलकत्ता हाई कोर्ट में केस दायर किया था।
उनके मुवक्किल गोपाल मंडल 2016 में स्कूल सेवा परीक्षा में बैठे थे। 2019 में रिजल्ट जारी होने के बाद उन्होंने देखा कि उन्हें नौकरी नहीं मिली। तभी उसे शक हुआ और उन्होंने आरटीआई की तो यह पता चला कि मेरिट लिस्ट में उनका नाम 214वें नंबर पर है। उन्हें 80 प्रतिशत अंक मिले हैं, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली, बल्कि नीलमोनी बर्मन नाम के एक व्यक्ति को नौकरी मिल गई।