Kolkata Desk: कोरोना की वजह से छात्रों को हो रहे पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। तय किया गया है कि 11वीं और 12वीं के छात्रों के लिए सेमेस्टर आधारित पाठ्यक्रम की शुरुआत की जाएगी, ताकि छोटे छोटे स्तर पर छात्रों को समय के साथ कोर्स पूरा करने में सुविधाएं हों।
उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद ने इस बाबत उच्च शिक्षा विभाग से सलाह की है, हरी झंडी मिलने के बाद इसे मूर्त रूप दे दिया जाएगा। पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा परिषद (WBCHSE) के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. चिरंजीव भट्टाचार्य ने कहा कि अगले साल उच्च माध्यमिक परीक्षा ऑफलाइन होगी या नहीं, यह भी सरकार के निर्देश और उस समय कोरोना की स्थिति पर निर्भर करेगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक WBCHSE अगले साल से दो साल के उच्च माध्यमिक पाठ्यक्रमों को काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE ) के सेमेस्टर आधारित पाठ्यक्रम की तर्ज पर करने के बारे में सोच रहा है। डॉ. चिरंजीव भट्टाचार्य ने कहा, WBCHSE उच्च शिक्षा विभाग की सिफारिशों और शिक्षा मंत्री की सलाह के अनुसार चलेगा। चीजें पूरी तरह से हमारे द्वारा तैयार नहीं की जा सकती हैं क्योंकि कई कारक होते हैं। कोरोना की स्थिति के आधार पर चीजें बाद में स्पष्ट होंगी।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गत 13 अगस्त को महुआ दास को पद से हटाने के बाद जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर डॉ. चिरंजीव भट्टाचार्य को डब्ल्यूबीसीएचएसई का प्रमुख नियुक्त किया था। जुलाई में घोषित उच्च माध्यमिक परीक्षा के नतीजे में फेल होने वाले छात्रों के विरोध और टॉप करने वाली छात्रा के मजहब का जिक्र करने की वजह से महुआ दास को हटाया गया था।
इस वर्ष कोरोना के कारण परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकी और छात्रों का मूल्यांकन पिछली परीक्षाओं में उनके द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर एक वैकल्पिक मूल्यांकन प्रणाली के जरिए किया गया था। फेल परीक्षार्थियों की संख्या लगभग 18,000 थी। राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद पुनर्मूल्यांकन कर उन्हें उत्तीर्ण घोषित किया गया था।