Kolkata Desk: कोलकाता लौटे शिक्षक तमाल भट्टाचार्य ने सुनाई तालिबान के जुल्मों की दास्तां कहा- ‘सुनाई देती हैं गोलियों की आवाजें और हर जगह है मौत का मंजर’। काबुल से लौटे तमाल भट्टाचार्य ने बताया है कि वह अफ़गानिस्तान के एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल में शिक्षक थे। तालिबानियों के कब्जे के बाद स्कूल कॉलेज सब बंद हैं और लोग फंसे हुए हैं। खासकर विदेशी नागरिकों को वहां खतरा है इसलिए देश लौटने को लेकर चिंता में पड़े हुए थे।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां फंसे कोलकाता के दो लोगों को वायुसेना के विमान से सुरक्षित भारत वापस लाया गया है। इनमें से एक समरजीत मुखर्जी है, वह लेकव्यू के रहने वाले हैं। जबकि दूसरे का नाम तमाल भट्टाचार्य है। वह मैकेनिकल इंजीनियर थे और काबुल में एक इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाते थे। भारत की धरती पर उतरने के बाद दोनों ने राहत की सांस ली और काबुल में तालिबानियों के जुल्मों की दास्तां बयां किया।
तमाल भट्टाचार्य कोलकाता के निमता के निवासी हैं। दोनों लोग रविवार की रात घर पहुंचे हैं। इन्होंने बताया कि वायुसेना के विमान से वे गाजियाबाद उतरे थे जहां से कोलकाता वापस आए हैं। रविवार की सुबह तमाल के दिल्ली आने की खबर मिलने के बाद ही उसके माता-पिता ने कई दिनों के भयंकर तनाव के बाद चैन की सांस ली। शनिवार की देर रात गाजियाबाद से फ्लाइट में सवार होने से पहले उसने अपने माता-पिता से बातचीत की थी।
तमाल भट्टाचार्य ने बताया है कि वह अफगानिस्तान में एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल में शिक्षक थे। तालिबान के कब्जे के बाद से स्कूल, कॉलेज सब बंद हैं और लोग फंसे हुए हैं। मूल रूप से विदेशी नागरिकों को वहां खतरा है इसलिए देश लौटने को लेकर चिंता में पड़े हुए थे। हालांकि वे दूतावास के संपर्क में लगातार थे और भारतीय वायुसेना के विमान के पहुंचने की जानकारी मिलने के बाद वे एयरपोर्ट के नजदीक पहुंचे थे। वहां से उन्हें काबुल हवाई अड्डे ले जाया गया। जहां भारतीय और अमेरिकी सैनिकों की मदद से उन्हें भारतीय वायुसेना के विमान में बैठाया गया और स्वदेश लौटे हैं। घर लौट कर दोनों खुश हैं।
तमाल भट्टाचार्य ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से वह स्कूल के स्टाफ क्वार्टर में ही रह रहे थे। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वह इतना डर गए थे कि स्कूल प्रिंसिपल के घर में खुद को कैद कर लिया था। उनकी बाहर निकले की हिम्मत ही नहीं हुई। उन्होंने बताया कि, “हवाईअड्डा सशस्त्र तालिबानियों से घिरा हुआ था। शुक्रवार की रात करीब 11 बजे हम अन्य भारतीयों के साथ एयरपोर्ट के गेट पर पहुंचने में सफल रहे, लेकिन अमेरिकी बलों ने शुरू में हमें अंदर जाने से मना कर दिया क्योंकि कोई भी सरकारी अधिकारी हमारे साथ दस्तावेज लेकर वहां नहीं आया था।”
तमाल भट्टाचार्य ने कहा कि, “हमें शुक्रवार की रात कई घंटों तक हवाई अड्डे के बाहर इंतजार करना पड़ा। बाद में हमें एयरपोर्ट के नजदीक एक वेडिंग हॉल में ठहराया गया, तभी भारतीय वायु सेना के अधिकारी वहां पहुंचे। उन्होंने शनिवार की देर रात फ्लाइट में चढ़ने में हमारी मदद की।” उन्होंने कहा कि वहां सिर्फ गोलियों की आवाज सुनाई देती थी और सब जगह मौत के डर का मंजर है।