कोलकाता : स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एनआरसी विरोधी जन आंदोलन की ओर से मौलाली के रामलीला मैदान में सभा हुई और जुलूस निकाला गया। जन आंदोलन की ओर से जारी ब्यान में कहा गया है कि भारतवासियों की लाश के ऊपर से स्वाधीनता आई। उस समय देश के बंटवारे को लेकर उनसे कोई राय नहीं ली गई।
उसी देश विभाजन के षड्यंत्रकारियों के शिष्य एनपीआर, एनआरसी व सीएए के जरिए देश के समस्त लोगों के जीवन को नर्क बनाकर अपने कार्पोरेट प्रभुओं की लालसा को पूरा कर अपनी सत्ता और शोषण की चक्की को बरकरार रखना चाहते हैं।
इसीलिए देश बंटवारे का दिन देशवासियों के 75 साल की लंबी नींद से जग उठने का दिन है। शत्रु की आखों में आखें डाल कर प्रतिज्ञाबद्ध होने का दिन है। अपनी संतानों के आने वाले दिनों को नर्क बना देने वाले षड्यंत्रकारियों के विरोध में गरजने का दिन है।
ब्रिटिश को अपने शासन काल में बंगाली और पंजाबी से सबसे अधिक चोट खानी पड़ी थी। इसलिए जाने के पहले उसने बंगाल और पंजाब पर अपने प्राणलेवा दांत को गड़ा दिया।
ब्रिटिश के साथ हाथ मिलाकर इसी देश के कुछ लोभी और स्वार्थी नेताओं ने अपने वर्चस्व को सुनिश्चित करने के लिए बंगाल और पंजाब यानी देश का विभाजन कर दिया और उसके फलस्वरूप लाखों लाख भारवासियों का जीवन शरणार्थी के रूप में अनिश्चयता के अंधकार में डूब गया। भाईचारे पर आघात करने वाले दंगा की सीमा ही नहीं रही। इस तरह बलत्कृत भारतवासियों की लाश के ऊपर से स्वाधीनता आई।