किरण नांदगाँवकर, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) : क्रिकेट को ऐसे ही अनिश्चितताओं का खेल नहीं कहा गया है। इसकी अनिश्चितता में ही दरअसल इसका रोमांच छूपा है। अब आप खुद ही देख लें। कल तक लॉर्ड्स टेस्ट इस मोड पर था की कोई भी टीम मैच जीत सकती थी। भारत भी, इंग्लैंड भी और ड्रॉ भी संभव था। भारत के पास सिर्फ १५४ रन की बढ़त हाथ थी और रिषभ पंत पर सबकी निगाहें थी।
लेकिन क्रिकेट ने एक बार फिर अपनी अनिश्चितता दिखाई और जो काम बड़े-बड़े सूरमा (बल्लेबाज) यहां नहीं कर सके वो मो. शमी और जस्सी बूमराह ने कर दिखाया। पंत के आउट होते ही लगा की अब तो हार लगभग निश्चित ही है। लेकिन उसके बाद इन दोनों ने लॉर्ड्स कि विकेट पर जो लंगर डाला उसको देख दिल खुश हो गया। बॉल दर बॉल ये खेलते रहे, रन जुटाते रहे। बूमराह, शमी जैसे-जैसे स्कोर आगे बढाते थे टीवी पर मैच देख रहे दर्शक भारत की संभावित हार के झोन से बाहर निकलते जा रहे थे। आज पूरा देश यह देख रहा था की इन्होंने बल्लेबाजी का क्या एप्रोच दिखाया।
जो रुट इनके आगे पस्त हो गए। और जहां हम यह सोच रहे थे की इंग्लैंड को 190-200 का टारगेट मिलेंगा वहां इन दोनों ने भारत के स्कोर को वहां ले जाकर छोड़ा जहाँ विराट कोहली को डिक्लेयर करने की स्वतंत्रता मिल गई। बूमराह, शमी की जितनी तारीफ की जाय कम है।
इंग्लैंड के लिए 260 का लक्ष्य मुश्किल ही था, वह भी 60 ओवर में। भारत के पास इतने कम ओवर में पूरे दस विकेट उखाड़ना नामुमकिन तो नहीं लेकिन एक मुश्किल टास्क था। लेकिन आज तो जैसे हमारे गेंदबाजों ने कसम खा ली थी की पहले बल्लेबाजी और फिर गेंदबाजी में वो इंग्लैंड को दिन में तारे दिखा कर ही छोडेंगे। इंग्लैंड की पूरी टीम को बूमराह, शमी ने वैसे ही पिट-पिट कर झापड़ी बांध दी थी।
इन होश उड़े हुए इंग्लिश बल्लेबाजों को भारत के गेंदबाजों ने संभलने का मौका ही नहीं दिया और आज लॉर्ड्स की इस हरी-भरी पिच पर अंग्रेज बल्लेबाजों की आँखों के सामने अंधेरा छा गया। बूमराह, इशांत शर्मा, मो. शमी, सीराज ने आज जो गेंदबाजी की है, उसे कहर कहते है। और इस कहर में आज इंग्लिश टीम के परखच्चे उड़ गए। आज इंग्लिश बल्लेबाजों के पास भारत के इन तेज़ गेंदबाजों का कोई जवाब ही नहीं था।
वैसे भी टेस्ट मैचों में अंतिम दिन बल्लेबाजी करना दूभर होता है। लेकिन सिर्फ120 रन पर टीम ऑल आउट हो जाय तब इसे दूर्दशा कहते है। 152 रनों की यह हार इंग्लिश टीम की कई दिनों की रातों की नींद हराम करने वाली है।
भारतीय टीम अब बायलेट्रल सीरीज की एक अविजीत टीम बनती जा रही है। इसके पहले ऑस्ट्रेलिया के पिछले दो दौरों पर यह टीम जीती और आज लॉर्ड्स में इतिहास रच दिया। इसके पहले ब्रीसबेन टेस्ट में भी ऑस्ट्रेलिया दशको से हारी नहीं थी लेकिन भारत ने वहां जीत हासिल कर कंगारुओं का घमंड तोड़ा था और आज 1986, 2014 के बाद लॉर्ड्स में भी जीत का इतिहास रच दिया। दरअसल अब हमारी टीम में जितने भी युवा है वो इस जीत की शक्ति के सूत्रधार है।
हनुमा विहारी, सूंदर, शार्दूल, पंत, नटराजन, सैनी, सीराज, बूमराह, शमी यह मिश्रित युवा शक्ति अब हमारे लिए जीत का सूत्रपात करते है। अब यदि कोहली, पूजारा, रहाणे रन ना भी बना सके तो ये युवा दोहरी जिम्मेदारी निभा कर टीम को जीत दिलाकर ही दम लेते है।
ऑस्ट्रेलिया में जब दर्जन भर खिलाडी घायल होकर बाहर हो गए तब भी युवाओं ने मोर्चा संभाला और जीत दिलाई। कंगारू कोच माईकल स्लेटर को मानना पड़ा की भारत की सवा सौ करोड जनसंख्या में उनकी क्रिकेट टीम के बैंचर्स ही किसी टीम को धूल चटाने के लिए काफी है। आज जोरुट के हाथ से भी ये युवा, टेलएंडर्स हारी हुई बाजी जीत कर ले गए। यह बिल्कुल सच है की यह एक नया भारत है। जहाँ उसके बैक बैंचर्स, युवा अब सिर्फ हराते नहीं है बल्कि पटक-पटक कर मारते है।
कल 15 अगस्त था। हमारा राष्ट्रीय पर्व और इस जीत से बड़ा तोहफा हमें और क्या मिल सकता था। वो भी उन गोरों के खिलाफ जिनके खिलाफ हमने आज़ादी की लड़ाई लड़ी। अभी कुछ दिनों पूर्व ही ओलंपिक में हमारे युवाओं ने गौरवान्वित होने का अवसर सभी देशवासियों को दिया था। आज भारतीय टीम ने लॉर्ड्स की इस जीत से फिर सीना चौड़ा कर दिया। पूरी भारतीय टीम को इस अद्भुत विजय की बहुत-बहुत बधाई !!