#Bengal : बाढ़ प्रभावित बंगाल में मरीज को बचाने के लिए पानी में तैरकर अस्पताल पहुंचे डॉक्टर

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हावड़ा जिले का उदयनारायणपुर ब्लॉक हाल ही में आई बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से एक है, जहां के ज्यादातर गांवों में कई फीट तक पानी भरा हुआ है। यहां बाढ़ की स्थिति इतनी खराब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अपना दौरा रद्द करने के लिए मजबूर हो गईं, मगर यहां की विपरीत परिस्थितियां भी डॉक्टरों और उनके सहायक कर्मचारियों के एक समूह को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से नहीं रोक सकी।

दो नर्सों सहित तीन डॉक्टर और चार सहायक कर्मचारी बुधवार को उदयनारायणपुर के सामान्य अस्पताल तक पहुंचने के लिए लगभग आधा किलोमीटर तक कई फीट तक भरे पानी में तैरकर पहुंचे, क्योंकि उन्हें यहां एक गंभीर हालत में भर्ती कराए गए एक मरीज का ऑपरेशन करना था।

मरीज का ऑपरेशन करने वाली टीम में शामिल प्रमुख डॉक्टर तारक दास ने कहा, मरीज के गर्भाशय से खून बह रहा था और उसे तत्काल ऑपरेशन की जरूरत थी। हमारे पास अस्पताल पहुंचने के लिए तैरने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

एक डॉक्टर ने कहा, अन्य समस्याएं भी थीं। पानी का प्रवाह अधिक था और हम अच्छे तैराक भी नहीं हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से हमें पानी के बीच से गुजरते समय बहुत सतर्क रहना पड़ रहा था। कुछ दिन पहले दो लड़कियां पानी में डूब गईं थीं। इसके अलावा वहां पर हमें सर्पदंश का डर भी था, क्योंकि अधिकांश इलाके पानी में डूबे हुए हैं, जिससे जहरीले सांपों के आसपास छिपे होने की संभावना बढ़ गई है।

अस्पताल सूत्रों के अनुसार 48 वर्षीय दीपाली मलिक को काफी रक्तस्त्राव होने के बाद  अस्पताल में भर्ती कराया गया था। टीम के एक अन्य डॉक्टर ने कहा, उनके परिवार के सदस्यों ने हमें सूचित किया कि मरीज को पिछले एक महीने से खून बह रहा है। शुरू में, हमने इसे आंतरिक घाव माना और उसी के अनुसार इलाज शुरू किया, लेकिन जब उसकी परीक्षण रिपोर्ट आई, तो हमने पाया कि उसके गर्भाशय के अंदर एक बहुत बड़ा ट्यूमर था और वही सभी समस्याओं का कारण बन रहा था।

बुधवार को करीब 500 ग्राम वजनी ट्यूमर को एक घंटे की सर्जरी के बाद गर्भाशय से निकाल दिया गया।

ऑपरेशन थियेटर में तीन डॉक्टरों – सर्जन तारक दास, प्रभास दास और एनेस्थेटिस्ट अशोक खारा के अलावा दो नर्स और अन्य सहायक कर्मचारी भी मौजूद थे, जिनमें से सभी को एक जीवन बचाने की जिम्मेदारी निभाने के लिए जलधारा का सामना करना पड़ा।

तारक दास ने कहा, प्रक्रिया को हिस्टेरेक्टॉमी कहा जाता है, जहां एक ऑपरेशन के माध्यम से गर्भाशय को हटा दिया जाता है। ऑपरेशन के परिणामस्वरूप, रोगी गर्भ धारण नहीं कर सकता है। हालांकि, इस मामले में रोगी पहले ही रजोनिवृत्ति चक्र (जब माहवारी बंद हो जाती है) तक पहुंच चुकी थी, इसलिए गर्भधारण का सवाल ही नहीं उठता।

यह पूछे जाने पर कि क्या टीम को अपने काम के लिए कोई प्रशंसा मिली, तारक दास ने कहा, मैं पिछले 20 वर्षों से सरकारी सुविधाओं में काम कर रहा हूं और मैंने कभी भी किसी भी तरह के पुरस्कार के लिए काम नहीं किया है। मुझे खुशी है कि मरीज ठीक है और सुरक्षित है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रख रहे हैं कि उसे कोई संक्रमण न हो। एक बार जब महिला सुरक्षित घर वापस चली जाएगी, तो यह हमारा सबसे बड़ा पुरस्कार होगा।

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