किरण नांदगाँवकर। (मध्यप्रदेश) : टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पहले से ही उम्मीद था की कौन-कौन खिलाडी पदक लाऐंगे। इनमें सबसे ज्यादा उम्मीद निशानेबाजी और कुश्ती में थी। निशानेबाजों के निशाने तो चूक गए लेकिन जैसे ही कुश्ती के मुकाबले शूरु हुए हमारे पहलवानों ने अपने दांव-पेंच दिखाने शुरू कर दिए और अंततः मीराबाई, सिंधू, लवलिना के बाद चौथा मेडल पहलवान रवि दहिया ने भी पक्का कर दिया है।
उन्होंने 57 किलोग्राम के वर्ग में सेमीफाइनल में कजाकिस्तान के पहलवान नूरिस्लाम सरायेव को पटखनी दी। सेमीफाइनल में रवि एक समय 8 पॉईंट से पिछे चल रहे थे, लेकिन एक मिनट बाकी रहते हुए रवि ने कजाकी पहलवान को चित करते हुए उसे मुकाबले से बाहर कर दिया। उन्हें विक्ट्री बाय फॉल रुल से विजेता करार दिया गया। रवि ने कजाकी पहलवान को चित करते हुए मुकाबला जीता।
अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में इसे विक्ट्री बाय फॉल कहते है। जब कोई पहलवान प्रतिद्वंद्वी को चित कर उसके दोनों कंधे मेट से लगा देता है तो उसे विक्ट्री बाय फॉल कहते है। ओलंपिक में खासकर सेमीफाइनल में ऐसी जीत दूर्लभ होती है। जब रवि ने नूर इस्लाम को चित किया उस समय वे 7-9 से पिछे थे।
आधिकारिक स्कोर 7-9 ही रहा लेकिन प्रतिद्वंद्वी को चित करने से उन्हें तुरंत जीत मिल गई। इस शानदार जीत के लिए रवि दहिया को बधाई और फाइनल के लिए ढेरों शुभकामनाएं। पदक का रंग अब यदि सुनहरा रहा तो सोने पे सुहागा है अन्यथा कोई भी रंग का चलेंगा। जय हिंद