निप्र, लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने और बचे हैं। लेकिन राज्य में चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। पार्टियों ने अपने तरीके से तैयारियां शुरू कर दी हैं। सभी पार्टियों ने ब्राह्मणों को अपने पाले में लाने के लिए तमाम तरह के प्रयास शुरू कर दिए हैं। विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सभी दलों ने ब्राह्मणों के वोट बैंक अपने पाले में लाने के लिए सियासी संग्राम छेड़ दिया है।
अब सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में ब्राह्मणों का हीरो बनेगा कौन? इसपर एकीकृत ब्राह्मण महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरज पंडित ने कोलकाता हिंदी न्यूज़ से विशेष बातचीत की।
धीरज पंडित कहते हैं कि ब्राह्मण पिछले 73 सालों से हर बार ठगा ही जा रहा है। सबसे ज्यादा अम्बेडकर बाबा के संविधान ने ठगा है। 89 के बाद भाजपा, सपा और बसपा ने हर बार सब्जबाग दिखा कर वोट तो लिया लेकिन फिर जातिवाद की भेंट चढ़ गया ब्राह्मण का प्रेम।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 पर बात करते हुए धीरज पंडित ने कहा कि इस बार स्थितियां कुछ अलग होंगी। इस बार ब्राम्हण भी शांत भाव से सब कुछ देख रहा है। अपने पत्ते अंत तक नहीं खोलेगा।
धीरज पंडित कहते हैं कि बसपा और सपा दोनों अपने-अपने समीकरणों से घबराई हुई हैं। दलित, मुस्लिम, यादव मुस्लिम का समीकरण हर बार चलता था। जिधर ब्राह्मण का एकजुट वोट पड़ा उस पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। वहीं रही इस बार की बात तो इस बार मुस्लिम दलित और ओबीसी के लिए एक नया वोटकटवा विकल्प तैयार हुआ है। इसलिए सपा-बसपा नए समीकरण के लिए कमर कस के उतर गए हैं।
आजादी के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में 1989 तक ब्राह्मण का वर्चस्व कायम रहा और 6 ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने। इस दौरान उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मणों की एक अलग हनक मानी जाती थी। हालांकि इस पर एकीकृत ब्राह्मण उनको टिकट भी देते रहे हैं।
ये उम्मीदवार ब्राह्मण एजेंट के रूप में पार्टी में काम करते हैं। वैसे पार्टी में इनकी कोई पकड़ दखल और चलती नहीं है। बस ज़िंदाबाद और चमचागिरी के लिए पार्टी दफ्तर और पार्टी सिम्बल गाड़ी में लिए घूमते हैं ताकि इधर उधर से दलाली और ठेकेदारी का काम मिल जाये।
कुछ रिपोर्टों की माने तो उत्तर प्रदेश में करीब 12 फीसदी ब्राह्मण हैं। पिछले विधानसभा चुनाव लाने के 2017 में बीजेपी के कुल 312 विधायकों में 58 ब्राह्मण समुदाय के प्रतिनिधि चुनकर आए थे। इसके बावजूद राज्य सरकार में ब्राह्मणों की हनक पहले की तरह नहीं दिखी। 56 मंत्रियों के मंत्रिमंडल में 9 प्रतिनिधि ब्राह्मण समुदाय से हैं। बावजूद विपक्ष योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगाते रहे हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा भी बनने जा रहा है।