TMC के इन चार बड़े नेताओं को मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया ‘कुख्यात बदमाश’

कोलकाता: चुनाव के बाद हुई हिंसा के मद्देनजर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। राज्य सरकार ने शुरुआत में ही मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट की कड़ी आलोचना की थी। हालांकि इस बार विस्फोटक जानकारी सामने आई है। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में टीएमसी के कई बड़े नेताओं को कुख्यात बदमाश के रूप में बताया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस सूची में राज्य के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक भी शामिल हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनावी एजेंट शेख सूफियान, उत्तर बंगाल के तृणमूल नेता उदयन गुहा समेत कई लोगों के नाम शामिल हैं।

दरअसल उच्च न्यायालय को सौपे गए मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट पर वहां सबसे पहले गौर किया गया जहां लिखा है राज्य में कानून का राज नहीं है। यहां के शासक की इच्छा ही कानून है। यहां तक की कई घटनाओं की सीबीआई जांच की मांग की गई है। इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरा असंतोष जताया है। हालांकि राजनीतिक क्षेत्र में‌ इस बात में कोई शक नहीं है कि रिपोर्ट का विस्तृत हिस्सा सामने आने के बाद यह विवाद और बड़ा होने वाला है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में ज्योतिप्रिया मलिक, उदयन गुहा, शौकत मुल्लाह,, पार्थ भौमिक, शेख सुफियान, खोकोन दास और जीवन साहा का नाम शामिल है। इनमें से कुछ नेता मंत्री भी हैं। कोई पूर्व विधायक है तो कोई पार्षद। मारवादी कार आयोग ने विभिन्न जिलों से कई नामों की सूची सौंपी है। इनमें से ज्यादातर राज्य में सत्ताधारी पार्टी के नेता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार नामों की इस तालिका के शीर्ष पर गुंडा या गुंडई करने वालों के नामों की सूची के रूप में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में उन इलाकों में चुनाव के बाद की हिंसा के आरोपों के आधार पर टीएमसी के नेताओं का नाम लिया गया है जहां मानवाधिकार आयोग के सदस्य स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।

मानवाधिकार आयोग ने ना केवल राजनीतिक नेताओं बल्कि कई पुलिस अधिकारियों के नाम भी सूची में शामिल किए हैं। रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है बदमाशों के लिए राज्य प्रशासन का मौन समर्थन है। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट आने के बाद कुख्यात बदमाशों की सूची में शामिल नेताओं का गुस्सा फूट पड़ा है। राज्य के वन मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पहले पता होना चाहिए था कि मैं पेशे से वकील।

मैं पिछले 10 वर्षों से इस स्टेट बार काउंसिल का कार्यकारी अध्यक्ष हूं। उन्होंने अनजाने में गलत जानकारी दी है। मेरे नाम की एफआईआर पश्चिम बंगाल के एक भी पुलिस थाने से कोसों दूर है। ज्योतिप्रिया मलिक ने कहा जरूरत पड़ी तो मैं मानहानि का मुकदमा भी दर्ज कराऊंगा। दूसरी और नैहाटी तृणमूल नेता पार्थ भौमिक ने कहा कि लोग समझ जाएंगे कि बीजेपी किस तरह तमाम संस्थाओं को गुलाम बना रही है।

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