मिर्जापुर : जब-जब विपरीत परिस्थितियों में खुद को अकेला पाता हूं तो आपके पास चला आता हूं, मैं आज अपने जीवन में तमाम कठिन परिस्थितियां इन हालातों को मैं गुरु के रूप में मानकर आपका शुक्रिया अदा करता हूं, क्योंकि इन्होंने मुझे ज्यादा निष्ठावान और मजबूत बनाया है। अपने देश और समाज के प्रति आप मुझे संभालते हैं यह आपका उपकार है। वरना इस दुनिया में सम्मान के साथ जीने की मेरी हस्ती कहां?
मेरी खोई हुई दुनिया का स्वप्न जो बार-बार मुझे आता है, यह मेरे जीवन का सबसे दुर्लभ सत्य है। जिसका झटका खाते ही सब बिखरे हुए अनुभव, खंड तस्वीरें, यादें, प्यार एक पैटर्न मैं सिमटने लगते है। भावनाओं का ज्वार उठता है और यादें पछाड़ खाकर गिरती है, फिर उठती हैं फिर आत्मा से टकराती हैं और वापस लौट जाती है। मगर शरीर वही रहता है, क्या इसका प्रमाणिक सबूत कभी मिल सकता है?
जो हम सपने देखते हैं खोई हुई दुनिया जो कल का दुर्लभ सत्य है, उखड़ी हुई मिट्टी में अपनी छाया टटोलती सी जिंदगी, इसका अंत क्या होगा यह तो मुझे नहीं पता मगर उसमें इतना जरूर लिखा होगा कि एक अधूरे इंसान ने जिंदगी की जंग एक सच्चे शिक्षक की जिम्मेदारी निभाते हुए जिंदगी की एक बेहतरीन पारी खेली।