अशोक वर्मा, कोलकाता : जी हाँ, हम बात कर रहे है भोजपुरी फिल्म जगत के जाने माने सहायक निर्देशक रवि तिवारी के बारे में, इन्होंने अपनी कैरियर की शुरुआत भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री से की है। इनका एक ही सपना था कि मैं भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में काम करूं और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को कुछ अलग और अच्छा दे सकु। इनका नाम रवि तिवारी है और जन्म भूमि नारायणी नदी के किनारे बसा एक प्यारा गांव बरवापट्टी है जहां बच्चे से लेकर बूढ़े तक रवि तिवारी को बहुत प्यार करते हैं। इनके पिताजी का नाम विनोद तिवारी है जो खुद भी एक बहुत ही अच्छे कलाकार हैं और पूर्वांचल के पहले कलाकार है।
जो मुंबई गए और कई फिल्मों में मुख्य खलनायक की भूमिका निभाएं जैसे “सजनवा बैरी भइले हमार”, “हमके माफी दे द” और भी फिल्मों में काम किए इसके बाद उनका स्वास्थ साथ नहीं दिया और फिर उन्हें ब्रेन ट्यूमर हो गया और लखनऊ PGI हॉस्पिटल में तीन महीना एडमिट रहे और महादेव जी के आशीर्वाद से बच गए! घर आ गए लेकिन उनके अंदर कहीं ना कहीं अभी भी अभिनय करने का मन था लेकिन स्वास्थ ठीक न होने के कारण रवि तिवारी उनको मना करते रहे फिर एक दिन एहसास हुआ कि पापा के अधूरे सपने को रवि को पूरा करना चाहिए फिर क्या था।
अपने गांव से रवि तिवारी ने महादेव जी और मम्मी पापा का आशीर्वाद लेकर मुंबई आ गए और थोड़े दिनों की संघर्ष के बाद इनको पहली बार संजय श्रीवास्तव के निर्देशन में काम करने का मौका मिला वह रवि तिवारी को हमेशा एक छोटे भाई के तरह मानते हैं और सपोर्ट करते हैं।
रवि तिवारी कहतें हैं कि “आज जो कुछ भी हूं उसमें बहुत लोगों का आशीर्वाद और प्यार है जैसे निर्देशक अशोक अत्री जो मुझे हमेशा एक भतीजे की तरह प्यार दिया और इनके अलावा निर्देशक परवीन गुडरी, सुजीत सिंह, देवेंद्र तिवारी, अजय झा, राकेश सिंहा, अरुण राज, बबलू गद्दी, महमूद आलम, रितेश ठाकुर, संजीव श्रीवास्तव, अतुल मिश्रा, प्रदीप शर्मा श्याम चरण यादव, राम पटेल, राणा जयसवाल आदि लोगों ने मुझे अपने निर्देशन में काम सीखने का मौका दिया। इनके लिए मेरे दिल में हमेशा प्यार और इज्जत रहता हैं।”
इसके अलावा मुझे बड़े भाई के रूप में पवन सिंह, अखिलेश राय, लोकेश मिश्रा, चंदन कश्यप, शुभम तिवारी, वीरु ठाकुर, रौनक मिश्रा, गुल मोहम्मद, राजाराम खरवार, बिट्टू वर्मा, विजय यादव, किशोर यादव, प्रवीन शास्त्री, मनीष तिवारी, आनंद गिरि, प्रिंस, राहुल, रितेश, नवनीत, आदित्य, प्रिंस, सूर्या, मनोज शर्मा आदि लोगों ने हमेशा मेरा साथ दिया हिम्मत बढ़ाया और मेरा दिल से सपोर्ट किया और मैं भी इन लोगों को हमेशा दिल से अपना मानता हूं।
अभी मेरी फ़िलहाल मुख्य सह निर्देशक और आने वाली फिल्म रवि किशन की ओम जय जगदीश, बडे मियां छोटे मियां, गौरव झा की फिल्म लड़ाई, रोहित यादव की फिल्म प्रेम लगन, शुभम तिवारी की फिल्म कल्लू जी की फिल्म मलंग, जय यादव की फिल्म मेरे रंग में रंगने वाले और साथ छूटे ना साथिया प्रवेश लाल की फिल्म प्रीतम प्यारे आदि है।
मैं अंत में सिर्फ यही कहना चाहता हूं की अपनी मातृभाषा भोजपुरी में काम करने का मेरा उद्देश्य अपने पिता के सपनों को साकार करना, अपने लोगों का प्यार पाना और अपनी मातृभाषा भोजपुरी को आगे बढ़ते हुए देखना है बाकी मेरे महादेव वह सब संभाल लेंगे!