कोलकाता : क्या आपके साथ ऐसा हुआ है जब आप किसी के बाथरूम में गए हों और वहाँ आपने टॉयलेट सीट में पानी के गहरे भद्दे दाग के साथ उसकी दुर्दशा देखी हो? हमारे घरों में यह स्थान जीवाणुओं के प्रजनन का स्रोत होता है। कोई इस पहलू पर सही ज्ञान और जानकारी नहीं होने के बहाने इसकी उपेक्षा कर सकता है, फिर भी बात जब टॉयलेट को स्वच्छ और स्वास्थ्यकर रखने की हो, तो इस पर विचार करना महत्वपूर्ण हो जाता है। यहाँ टॉयलेट में दाग-धब्बों और गंध के पीछे के कुछ सरल वैज्ञानिक तथ्य और दो सबसे आम समस्याओं को रोकने वाली टेक्नोलॉजी की जानकारी दी जा रही है। एस सी अजमानी, जनरल फिजिशियन, नई दिल्ली द्वारा चमकदार स्वच्छ टॉयलेट चाहने वालों के लिए एक वैज्ञानिक मार्गदर्शिका।
इस समस्या के निराकरण का एक तरीका है ऐसे उत्पाद का प्रयोग करना जो सहत को हाइड्रोफोबिक या ऐंटी-स्टिक बना सके, जो पानी को सतह पर चिपकने से रोकता है और इस प्रकार दाग-धब्बे बनने की गति कम करता है। टॉयलेट साफ करने वाले उत्पादों, जैसे कि डोमेक्स में फ्रेश गार्ड नामक नवाचार शामिल है। यह टेक्नोलॉजी टॉयलेट की सतह के साथ जुड़ कर इसे हाइड्रोफोबिक बनाता है। यह कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे जल लवण मिश्रित पानी को विकर्षित करता है, जिससे ये टॉयलेट की सतह पर सूख नहीं पाते और चूने की पपड़ी नहीं बन पाती है।
आपके टॉयलेट पर जमी हुई मेल और पपड़ी क्या है ?
इसे चूने की पपड़ी (लाइमस्केल्स), खनिज की गाद, और खनिज का जमाव, खारा पानी के दाग के रूप में भी जानते है। ये चूने के सफ़ेद अवशिष्ट होते हैं जो पानी में अतिरिक्त खनिजों (जैसे कि कैल्शियम और मैग्नीशियम) के कारण टोंटी और पानी की नोजलों के आस-पास जम जाते हैं। खारा पानी समय के साथ तेजी से टोंटी, शावर, सिंक और टॉयलेट पर जमा हो जाता है और जंग एवं पपड़ी के दाग छोड़ देता है जो देखने में गंदा तो लगता ही है, उसे हटाना अक्सर बेहद कठिन होता है।
यह टॉयलेट की अपेक्षा और कहीं ज्यादा समस्याजनक नहीं होता, क्योंकि टॉयलेट में ठहरा हुआ पानी हमेशा रहता है।
खारे पानी के दाग-धब्बों के वैज्ञानिक कारणों की समझ
हाइड्रोफोबिक सतह यानी स्वभावतः जल-विकर्षक सतह में गीलेपन का मुकाबला करने की शक्ति होती है। नमी युक्त टचपॉइंट्स किसी सतह को हाइड्रोफोबिक या ऐंटी-स्टिक (चिपकाव रोकने वाला) चिन्हित करेंगे, जब जल संपर्क 90-डिग्री के कोण से ज्यादा हो। उसके विपरीत, हाइड्रोफिलिक सतहों पर पानी ज्यादा ठहरता है और सतह गीली बनी रहती है। निरूपित रूप से उनका ड्रॉपलेट टचपॉइंट (बूँद स्पर्श बिंदु) कोण का माप 90 डिग्री से कम होता है। इन्हीं सतहों पर ज्यादा देर तक पानी ठहरा रह जाता है जो मैल और पपड़ी में बदल जाता है।
आपको घरेलू उपाय करने के बाद भी खारे पानी के धब्बों को रोकने और दुर्गन्ध दूर करने के लिए क्या करना चाहिए?
हम बेकिंग सोडा और सिरका का मिश्रण, बोरेक्स और सिरका की पेस्ट आदि अनेक घरेलू उपायों को आजमा चुके हैं। तथापि धब्बों के बनने के कारणों को समझना ज़रूरी है।
टॉयलेट की चूने की पपड़ी, सूक्ष्मजीवीय परत, और दुर्गन्ध जैसी कुछ आम समस्याएँ, फ्लश करने के बाद भी टॉयलेट की सतह पर बचे पानी के कारण होती हैं। यह पानी (खनिज और मैल से युक्त) चूने की पपड़ी जमा देता है जो बाद में सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रजनन स्थल बन जाते हैं और इनसे दुर्गन्ध पैदा हो सकता है। पानी को जमा नहीं होने देना या टॉयलेट की सतह पर पानी की परत छोड़े बगैर पानी का तेज निकास इन समस्यायों पर काबू पाने के लिए जरूरी है।