चुनाव बाद हिंसा की जांच करने कोलकाता गई NHRC टीम पर हमला

Kolkata : पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के आरोपों की जांच के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से गठित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की तथ्यान्वेषी (फैक्ट-फाइंडिंग) टीम पर जादवपुर पहुंचने पर कथित तौर पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद राज्य के कई हिस्सों में हिंसा देखने को मिली थी। इसी हिंसा की जांच के लिए जादवपुर गई एनएचआरसी को ही हमला का सामना करना पड़ गया है।

एनएचआरसी की तथ्य-खोज टीम के सदस्यों में से एक आतिफ रशीद ने कहा, हमें लोगों से कुछ शिकायतें मिली थीं कि उनके घर नष्ट हो गए हैं और इसलिए हम विवरण जानने के लिए जादवपुर गए। हालांकि हमारे साथ केंद्रीय बल भी था, फिर भी कुछ लोगों ने हम पर हमला किया। अगर हमारे साथ ऐसा होता है, तो यह आसानी से समझा जा सकता है कि आम लोगों के साथ क्या हो रहा है।

रशीद द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में पुरुषों और महिलाओं की गुस्साई भीड़ उन्हें धमकी दे रही है। रशीद जैसा कि वीडियो में देखा जा सकता है, भीड़ से कहते दिख रहे हैं वे इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकते। एक ओर वह उन्हें समझाते दिख रहे हैं और दूसरी ओर CISF के जवानों को उग्र भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश करते देखा जा सकता है।
एक अन्य वीडियो में रशीद को भीड़ से दूर जाते हुए देखा जा सकता है। कैमरे से बात करते हुए रशीद का कहना है कि उन पर और उनकी टीम पर तृणमूल कांग्रेस समर्थकों की भीड़ ने हमला किया है।

रशीद ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें लगभग 40 ऐसे घर मिले, जो भाजपा कार्यकतार्ओं के थे और जिन्हें जला दिया गया था। उन्होंने आगे कहा कि पिछले दो महीनों से भाजपा कार्यकतार्ओं का ठिकाना किसी को नहीं पता।

एक अन्य घटनाक्रम में, केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित तथ्यान्वेषी दल ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी को सौंपी है। पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चुनाव के बाद 25 लोग मारे गए। इसमें कहा गया है कि हिंसा की 15,000 घटनाएं हुई हैं और 7,000 महिलाओं को प्रताड़ित किया गया है।

इसमें कहा गया है कि लोगों को अपना घर छोड़कर असम में शरण लेनी पड़ी है। कुछ लोगों के घर पूरी तरह से जला दिए गए और नष्ट कर दिए गए, यहां तक कि उन्हें काम करने की अनुमति भी नहीं दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक विशेष पार्टी को वोट देने वाले गांव को जोड़ने वाला पुल ध्वस्त कर दिया गया था, जिसमें पानी के कनेक्शन भी काट दिए गए थे।

समिति ने कहा कि एक विशेष पार्टी के लोगों को निशाना बनाया गया और उन पर हमला किया गया। समिति ने यह भी कहा कि पुलिस ने बहुत लापरवाही से काम किया। पुलिस ने उन लोगों को न्याय देने की बजाय उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। इसके अलावा शिकायत के बावजूद पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया।

रिपोर्ट का हवाला देते हुए, समिति के सदस्यों में से एक ने कहा कि हिंसा छिटपुट नहीं थी या गुस्से में नहीं थी बल्कि यह पूर्व नियोजित, सुनियोजित और व्यापक थी। उन्होंने कहा कि स्थानीय माफियाओं और अपराधियों का इस्तेमाल हिंसा भड़काने के लिए किया गया और यह एक राजनीतिक दल ने दूसरे राजनीतिक दल के समर्थकों के खिलाफ किया।

राजनीतिक हिंसा 16 जिलों में हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा के दौरान हुए नुकसान के कारण लोग डर के मारे दूसरे राज्यों में चले गए हैं। अब गृह मंत्रालय द्वारा रिपोर्ट की जांच की जाएगी जिसके बाद कार्रवाई शुरू की जाएगी।

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